Delhi: दिल्ली के मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी (आप) के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल की मुश्किलें एक बार फिर बढ़ गई हैं। दिल्ली के उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना ने प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) को केजरीवाल के खिलाफ मुकदमा चलाने की मंजूरी दे दी है। यह मंजूरी विशेष रूप से दिल्ली की आबकारी नीति से जुड़ी जांच से संबंधित है, जिसमें केजरीवाल का नाम उभरकर सामने आया है।
5 दिसंबर को ईडी ने केजरीवाल के खिलाफ मुकदमा चलाने की मंजूरी की मांग की थी, और शनिवार को एलजी ने इस पर अपनी सहमति दे दी। इससे अरविंद केजरीवाल और उनकी पार्टी के लिए मुश्किलें और बढ़ सकती हैं, खासतौर पर आगामी दिल्ली विधानसभा चुनावों के मद्देनजर।
इस मामले में आम आदमी पार्टी ने तुरंत प्रतिक्रिया दी है। आप के नेताओं का कहना है कि ईडी के आरोप झूठे हैं और यह सब केवल भाजपा की साजिश का हिस्सा है। पार्टी ने दावा किया कि अगर एलजी ने सचमुच केजरीवाल के खिलाफ मुकदमा चलाने की मंजूरी दी है, तो ईडी को इसकी कॉपी सार्वजनिक करनी चाहिए। मुख्यमंत्री आतिशी ने भी इस मामले को लेकर एक पोस्ट साझा करते हुए कहा कि भाजपा जानबूझकर जनता को गुमराह करने के लिए इन खबरों का प्रचार कर रही है।
अरविंद केजरीवाल और मनीष सिसोदिया, दोनों ने ट्रायल कोर्ट के आदेश को चुनौती दी है। उनका तर्क है कि आरोपपत्र पर संज्ञान लेने से पहले उनके खिलाफ मुकदमा चलाने की मंजूरी जरूरी थी, जो कि नहीं मिली। इसके बावजूद ईडी ने उन्हें अभियोजन की मंजूरी देने का दावा किया है।
दिल्ली हाईकोर्ट 30 जनवरी 2025 को इस मामले की सुनवाई करेगा, जब अरविंद केजरीवाल की याचिका पर विचार किया जाएगा। चुनावी वर्ष में केजरीवाल और सिसोदिया दोनों के लिए यह मामला उनके राजनीतिक भविष्य के लिए एक बड़ा सवाल बन चुका है।
यह मामला एक ओर राजनीतिक तूफान की ओर इशारा करता है, जिसमें केजरीवाल और उनकी पार्टी के लिए चुनावी तैयारी के साथ-साथ कानूनी समस्याएं भी सामने आ सकती हैं। इस पूरे घटनाक्रम ने दिल्ली के राजनीतिक माहौल को और भी गर्म कर दिया है, और यह देखना दिलचस्प होगा कि केजरीवाल इस चुनौती का सामना कैसे करते हैं।