देहरादून . देश की रक्षा के लिए सर्वोच्च बलिदान देने वाले शहीदों के घर के आंगन की मिट्टी से देहरादून स्थित सैन्य धाम महक उठा. साथ ही शहीदों के इस धाम को 28 नदियों का पवित्र जल भी समर्पित किया गया. मौका था सोमवार को निर्माणाधीन सैन्यधाम में ‘अमर जवान ज्योति’ की स्थापना का. अमर जवान ज्योति स्थल की नींव में ही 1734 शहीदों के आंगन की मिट्टी को समाहित किया गया.
चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल (सीडीएस) अनिल चौहान ने सोमवार को देहरादून निर्माणाधीन सैन्यधाम में अमर जवान ज्योति की स्थापना कार्य का शुभारंभ किया. इस मौके पर उन्होंने कहा कि उत्तराखंड में चारधाम हैं, अब सैन्यधाम को पांचवें धाम के रूप में जाना जाएगा. अभी तक देश में सिर्फ युद्ध स्मारक बनते थे, पहली बार धाम का दर्जा उत्तराखंड ने दिया है. सैन्यधाम के रूप में उत्तराखंड ने सैनिकों को अमर बना दिया है.
अभी तक शहीदों की यादगार के रूप में केवल युद्ध स्मारक बनाए जाते हैं. इसका किसी आध्यामिक स्थान के रूप में निर्माण कभी नहीं किया गया. यह काम सबसे पहले देवभूमि उत्तराखंड में हुआ है. इस बात का हम सबको गर्व होना चाहिए. उत्तराखंड चार धामों के लिए प्रसिद्ध है लेकिन अब इसे सैन्य धाम के लिए भी जाना जाएगा.
सैन्य धाम के माध्यम से उत्तराखंड के लोग ने अपने सैनिकों को अमर बना दिया है और ये सुनिश्चित किया है कि उनकी विरासत आने वाली पीढ़ियों के दिल और दिमाग में बनी रहे. यह पवित्र स्थान न केवल युद्धभूमि में वीरगति पाने वाले सैनिकों का सम्मान करता है बल्कि उनको भी सम्मान देता है जिन्होंने आपदा प्रबंधन में अपने प्राणों की आहुति दी.
खास है सैन्यधाम देहरादून में दिसंबर 2021 में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सैन्यधाम का शिलान्यास किया था. 50 बीघा भूमि पर बन रहे सैन्यधाम पर 63 करोड़ खर्च किए जा रहे हैं. दिसंबर तक इसके बनने की उम्मीद है. इसमें द्वितीय विश्वयुद्ध से लेकर अब तक उत्तराखंड के जितने भी सैनिक शहीद हुए हैं, उन सबके चित्र लगाए जाएंगे.
उत्तराखंड की कई सीमाएं चीन से सटी हैं. यही वजह है, इसे फ्रंटलाइन स्टेट भी कहते हैं. सभी को इस फ्रंटलाइन स्टेट का महत्व समझना होगा. दुर्भाग्यपूर्ण है कि हमारे देश में इसका आभास बहुत कम लोगों को है.
-अनिल चौहान, सीडीएस