Delhi: दिल्ली सरकार ने महिला सम्मान योजना के तहत 1000 रुपये देने का एलान किया है, जिसे दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने एक बड़े तोहफे के रूप में पेश किया है। हालांकि, इस योजना की वास्तविकता कुछ और ही है।
सबसे पहले तो यह समझना जरूरी है कि 1000 रुपये की मासिक राशि, जो महिलाओं के खाते में डाली जाएगी, वह किसी भी तरह से महंगाई और महिलाओं की असली जरूरतों को पूरा करने में सक्षम नहीं है। चुनावी साल में किया गया यह वादा महज एक राजनीति की चाल है, जिसका मुख्य उद्देश्य दिल्ली में होने वाले चुनावों को ध्यान में रखते हुए वोट बटोरना है।
केजरीवाल ने दावा किया था कि इस योजना का लाभ 2025 में सरकार बनने पर 2100 रुपये किया जाएगा, लेकिन तब तक कितना समय गुजर जाएगा और दिल्ली की महिलाएं उस समय तक कितनी समस्याओं का सामना करेंगी, इसका कोई जवाब नहीं है। 1000 रुपये की राशि तो महज एक छलावा है, जो महिलाओं की असली समस्याओं को हल करने के बजाय उन्हें तात्कालिक लाभ देने का दिखावा है।
इस योजना के लिए जो शर्तें लगाई गई हैं, वो और भी अधिक निराशाजनक हैं। केवल वही महिलाएं इस योजना का लाभ उठा सकती हैं जो सरकारी पेंशन योजना का हिस्सा नहीं हैं, सरकारी कर्मचारी नहीं हैं और इनकम टैक्स नहीं देतीं। यानी, केवल उन्हीं महिलाओं को 1000 रुपये मिलेंगे, जिनकी आर्थिक स्थिति पहले ही खराब है, और जिन्हें सरकारी योजनाओं से कोई भी लाभ नहीं मिलता।
फिर, यह योजना महिलाओं को सिर्फ किताबों में राहत देगी, लेकिन उनके व्यक्तिगत खर्च और महंगाई के मद्देनज़र यह राशि पूरी तरह से नाकाफी साबित होगी। क्या 1000 रुपये से कोई महिला अपने घर का खर्च चला पाएगी या खुद को आत्मनिर्भर बना पाएगी? निश्चित ही नहीं।
‘आप’ का यह वादा सिर्फ वोट बैंक की राजनीति है, जिसे चुनावों के समय और बढ़ा-चढ़ा कर पेश किया जाएगा। महिलाओं के असली हक और सम्मान के लिए सिर्फ चुनावी घोषणा से ज्यादा कुछ नहीं किया जा रहा है।