
ISRO के पहले सौर मिशन आदित्य एल-1 में कुछ अहम सफलता मिली है। सूर्य की कई हालिया गतिविधियां को कैद करते हुए अंतरिक्ष यान ने उनकी दिलचस्प तस्वीरें भेजी हैं। दो रिमोट सेंसिंग उपकरणों जो की यान में लगे है उन्ही की मदद से ये तस्वीरें ली गईं। सूर्य की अलग-अलग ज्वालाओं की ISRO ने कई फोटो साझा की हैं, जो की मई में ली गईं है।
इसरो के अनुसार सोलर अल्ट्रा वायलेट इमेजिंग टेलीस्कोप (एसयूआइटी) और विजिबल एमिशन लाइन कोरोनाग्राफ (वीईएलसी) सेंसर के द्वारा ये गतिविधियां कैद की गई।
ISRO के बयान के अनुसार कोरोनल मास इजेक्शन (सीएमई) से जुड़ी कई एम-क्लास और एक्स-क्लास फ्लेयर्स भी दर्ज की गईं, जिनके द्वारा भू-चुंबकीय तूफान पैदा हुए।
आठ से 15 मई के दौरान सूर्य के सक्रिय क्षेत्र एआर-13664 में कई एक्स और एम-श्रेणी की ज्वालाएं फूटीं थी, जो की आठ और नौ मई के सीएमई से जुड़ी थीं। जिस कारण 11 मई को एक बड़ा भू-चुंबकीय तूफान पैदा हुआ था।
पिछले साल सूर्य के 11 अलग-अलग रंग नजर आए थे
पिछले साल दिसंबर में लैग्रेंजियन बिंदु (एल-1) पर पहुंचने से पहले यान के सोलर अल्ट्रा वायलेट इमेजिंग टेलीस्कोप ने सूर्य की पहली पूर्ण-डिस्क तस्वीरें खींची थीं। जिसमें सूर्य 11 अलग-अलग रंगों में नजर आया था।
इन तस्वीरों के जरिए सूर्य के फोटोस्फेयर और क्रोमोस्फेयर के बारे में कुछ मुख्य जानकारी भी मिली। सूर्य की नजर आने वाली सतह को फोटोस्फेयर, वहीं इसके ऊपर की पारदर्शी परत को क्रोमोस्फेयर बोला जाता है।
तारों के अध्ययन में सहायक
भारत का आदित्य एल-1 पहला सौर मिशन है, जो की दो सितंबर, 2023 को लॉन्च किया गया था। लॉन्चिंग होने के करीब 127 दिन बाद छह जनवरी को यह लैग्रेंजियन बिंदु (एल-1) तक पहुंचा।
पृथ्वी से एल-1 लगभग15 लाख किलोमीटर दूरी पर है। अंतरिक्ष यान वहां से लगातार सूर्य को देखने में बिल्कुल सक्षम है। पृथ्वी का सबसे करीब तारा सूर्य है।ऐसे में इस मिशन के माध्यम से अन्य तारों के अध्ययन में सहायता मिल सकती है।