नई दिल्ली. पश्चिम बंगाल में सोमवार को कंचनजंघा ट्रेन हादसे के अगले दिन रेलवे बोर्ड ने 18,799 सहायक लोको पायलट (ड्राइवरों) के तत्काल प्रभाव से भर्ती के आदेश जारी किए हैं. रेलवे बोर्ड ने सभी जोनल रेलवे के महाप्रबंधकों को निर्देश दिए हैं कि ड्राइवर भर्ती प्रक्रिया को एक हफ्ते में पूरा किया जाए. रेलवे के इस फैसले से ओवर ड्यूटी कर रहे ड्राइवरों का बोझ कम होगा और मानवीय चूक (ड्राइवर) से होने वाले हादसों में कमी आएगी.
रेलवे बोर्ड के निदेशक- स्थापना (रेलवे भर्ती बोर्ड) विद्याधर शर्मा ने उपरोक्त आदेश मंगलवार को देर शाम जारी किए हैं. इस आदेश में उल्लेख है कि 15 दिसंबर 2023 को 5696 सहायक लोको पॉयलेट (एएलपी) के पदों पर भर्ती करने की मंजूरी पहले दी जा चुकी है. लेकिन 16 जोनल रेलवे से एएलपी की अतिरिक्त भर्ती करने की मांग की जा रही थी.
रेलवे बोर्ड ने इसकी समीक्षा करने के बाद अब 18,799 एएलपी की भर्ती करने का फैसला किया है. इसमें कहा गया है कि इंडियन रेलवे भर्ती प्रबंधन व्यवस्था (ओआईआरएमएस) रेलवे भर्ती बोर्ड, बंगलुरू की सहायता से एएलपी की भर्ती प्रक्रिया एक सप्ताह में पूरी करेगा. विदित हो कि रेलवे में लंबे समय से ड्राइवरों के पद रिक्त चल रहे हैं.
एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि रेलवे बोर्ड ने ड्राइवरों की ट्रेन चलाने की ड्यूटी नौ घंटे निर्धारित की है. लेकिन कमी के चलते 31 फीसदी से अधिक ड्राइवरों को 10-12 घंटे तक ट्रेनें चलानी पड़ रही हैं. इसमें आठ फीसदी ड्राइवर 12 से 16 घंटे अधिक समय तक रेल चला रहे हैं.
ट्रैक सर्किट खराब होने से फेल हुई सिग्नल प्रणाली
पश्चिम बंगाल ट्रेन हादसे का कारण वहां का खराब मौसम और बारिश थी. बारिश के चलते ट्रैक सर्किट में त्रुटि होने के कारण रानीपतरा-चत्तर हाट सेक्शन का ऑटोमैटिक सिग्नल सिस्टम खराब हो गया था और कंचनजंघा ट्रेन हादसे का शिकार हो गई. इस हादसे ने सिग्नल एंड टेलीकॉम सहित ऑपरेटिंग विभाग की कार्यशैली पर प्रश्न चिन्ह लगा दिया है. जोनल रेलवे की प्रारंभिक जांच रिपोर्ट में उल्लेख है कि बारिश और तेज हवाओं के चलते सिग्नल सिस्टम फेल हो गया. विशेषज्ञों के अनुसार ऐसी स्थिति में ट्रेनों का परिचालन अब्सल्यूट (मैनुअल ट्रेन परिचालन) सिस्टम पर किया जाता है.