
दिल्ली. संयुक्त राष्ट्र संघ ने साल 2030 के लिए सतत विकास (Sustainable Development) के कुछ लक्ष्य तय किए हैं. इन लक्ष्यों में हर व्यक्ति के लिए स्वस्थ जीवन और सभी वर्ग के लोगों की बेहतर सेहत का टारगेट रखा गया है. डीजल-पेट्रोल (Diesel-Petrol) और अन्य ईंधनों से होने वाले प्रदूषण को कम करने के लिए बायो सीएनजी (Bio-CNG) को भविष्य के ईंधन के रूप में देखा जा रहा है. उम्मीद जताई जा रही है कि कम्प्रेस्ड बायोगैस यानी CBG आने वाले समय में भारत समेत दुनिया की ईंधन खपत का मुख्य हिस्सा बन जाएगा. इससे न सिर्फ़ ग्लोबल वॉर्मिंग को कम करने में मदद मिलेगी बल्कि लोगों को होने वाली स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं से भी निजात मिल सकेगी.
विश्व बैंक की एक रिपोर्ट के मुताबिक, हर साल भारत में 277.1 मिलियन टन ठोस कचरा पैदा होता है. इस कचरे को लैंडफिल साइट में डंप करके या जलाकर इसका निपटारा किया जाता है. हालांकि, इस प्रक्रिया से पर्यावरण और आम लोगों की सेहत पर काफी बुरा असर पड़ता है. इसके अलावा, पेट्रोल-डीजल जैसे अन्य ईंधनों के दहन से भी पर्यावरण पर काफी बुरा असर पड़ता है.
बायो-CNG बनेगी डीजल-पेट्रोल का विकल्प
इन समस्याओं से बचने के लिए ईंधन का नया विकल्प है बायोगैस. कार्बनिक पदार्थों से यह गैस बनाई जाती है. इसके लिए घरों से निकलने वाले कचरे, गन्ने के कचरे, औद्योगिक कचरे, खेती से निकलने वाले बायोमास जैसी चीजों का इस्तेमाल किया जाता है. इन चीजों को प्रोसेस करके बायो-सीएनजी बनाई जाती है जिसका इस्तेमाल गाड़ियों को चलाने, इंडस्ट्रियल गैस और बिजली के उत्पादन में किया जा सकता है.
CBG का मार्केट तेजी से बढ़ रहा है. एक अनुमान के मुताबिक, भारत में साल 2022 में इसका मार्केट लगभग 147 करोड़ अमेरिकी डॉलर यानी लगभग 11,760 करोड़ रुपये का है और 2029 तक यह बढ़कर 225 करोड़ अमेरिकी डॉलर यानी लगभग 18,000 करोड़ रुपये तक पहुंच जाएगा. पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय के मुताबिक, भारत में साल 2023-24 तक लगभग दो लाख करोड़ रुपये का निवेश करके बायो सीएनजी यानी CBG के 5000 प्लांट तैयार किए जाएंगे.
सरकार भी चला रही है कई योजनाएं
प्रदूषण और ग्रीन हाउस उत्सर्जन कम करने के लिए भारत सररकार ने SATAT योजना, वेस्ट टू एनर्जी, नेशनल पॉलिसी फॉर बायो-फ्यूल और बायोगैस जैसी योजनाएं शुरू की हैं. सरकार की योजना है कि बायो फ्यूल का उत्पादन बढ़ाए जाए और इसके साथ ही कच्चे तेल के आयात को कम किया जा सके जिससे देश की आर्थिक स्थिति को बेहतक किया जा सकेगा. सरकार को उम्मीद है कि बायो सीएनजी का इस्तेमाल और इसकी मांग बढ़ने से रोजगार सृजन भी तेजी से होगा.
आपको बता दें कि भारत में पैदा होने वाली बिजली का सिर्फ़ 26.53 हिस्सा ही नवीकरणीय स्रोतों से बनाई जाती है. यही कारण है कि भारत को दूसरे देशों से कच्चे तेल का आयात करना पड़ता है और इसका असर देश की अर्थव्यवस्था पर पड़ता है. इसी वजह से देश में हजारों की संख्या में सीबीजी प्लांट बनाने की योजना है. उदाहरण के लिए 25 टन प्रति दिन क्षमता वाले 50 प्लांट लगाने से एक साल में 66,825 मीट्रिक टन कार्बन डाई ऑक्साइड के उत्सर्जन को कम किया जा सकता है.