
केंद्र की मोदी सरकार ने केंद्रीय वित्त मंत्रालय में पहली बार राजस्थान से आईपीएस ऑफिसर की नियुक्ति की है. भारत सरकार ने आईपीएस प्रीति जैन (IPS Preeti Jain) को राजस्थान (Rajasthan) से दिल्ली (Delhi) बुलाया है, जहां सरकार ने उन्हें केंद्रीय वित्त मंत्रालय में डिप्टी सेक्रेटरी की पोस्ट पर नियुक्त किया है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी Narendra Modi) और केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) ने प्रीति की इकोनॉमिक्स में विशेष योग्यता देखने के बाद यह फैसला लिया. प्रीति अब वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को रिपोर्ट करेंगी.
राजस्थान में आईपीएस के पद पर रहते हुए बना चुकी हैं कई रिकार्ड
केंद्र में नियुक्ति से पहले प्रीती जैन जयपुर (Jaipur) में इंटेलिजेंस ट्रेनिंग अकादमी की डायरेक्टर थीं. मूल रुप से राजस्थान के श्रीगंगानगर की निवासी प्रीति जैन वर्ष 2009 बैच की आईपीएस अधिकारी हैं, उन्होंने अर्थशास्त्र में एमफिल किया है. इन्हें वर्ष 2011 में पहली नियुक्ति जोधपुर में एडिशनल एसपी पद पर मिली. इसके बाद वर्ष 2015 में जयपुर एसीबी में एसपी का पदभार संभाला. प्रीती जैन टोंक, हनुमानगढ़, चित्तौड़गढ़ और दौसा जिले में पुलिस अधीक्षक के पद पर भी अपनी सेवायें दे चुकी हैं, इसी दौरान इन्हें चित्तौड़गढ़ और दौसा जिले की पहली महिला एसपी होने का गौरव मिला.

हाल ही में आईएएस सुधांशु पंत को जहाजरानी मंत्रालय में सीधे सचिव के पद पर लगाए गए हैं पिछले 2 दशक में वह पहले राजस्थान के ऐसे आईएएस अधिकारी हैं जिन्हें सीधे किसी केंद्रीय मंत्रालय में सचिव के पद पर लगाए गए हैं.
आमतौर पर केंद्र में पहली नियुक्ति डिप्टी सचिव अतिरिक्त सचिव संयुक्त सचिव जैसे पदों पर की जाती है. सुधांशु पंत की गिनती राजस्थानी नहीं बल्कि देश के सोहना रेडियंट अधिकारियों में गिना जाता है डेढ़ साल पहले पंत दिल्ली में केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय में ही तैनात थे .
केंद्र में प्रतिनियुक्ति पर वर्तमान में राजस्थान कैडर के 29 आईएएस और आईपीएस अधिकारी तैनात हैं जबकि इससे पहले प्राय 15 से 20 आईएएस आईपीएस अधिकारियों की संख्या ही रहती थी लेकिन इतनी बड़ी संख्या में राजस्थान कैडर के अधिकारी पहली बार केंद्र में गए हैं.
इससे पहले जब नरेंद्र मोदी पहली बार 2014 में प्रधानमंत्री बने तब उन्होंने राजस्थान कैडर के आईएएस अधिकारी सुभाष चंद्र गर्ग सुनील अरोड़ा और राजीव महर्षि को केंद्र में प्रतिनियुक्ति पर लिया था और इन तीनों आईएएस अधिकारियों ने जो उपलब्धि हासिल की वह राजस्थान की ब्यूरोक्रेसी के 75 साल के इतिहास में किसी आईएएस अधिकारी को नहीं मिली थी.