
हरियाणा में कांग्रेस को जीत का सपना अंत में सिर्फ एक सपना ही रह गया। जिस जीत को वे करीब महसूस कर रहे थे, वह हार में तब्दील हो गई, और इसका धक्का अब तक कांग्रेस पचा नहीं पाई है। इस हार की एक अहम वजह माना जा रहा है ओवर कॉन्फिडेंस, जिसने कांग्रेस के पांव के नीचे की जमीन खिसका दी। इसी वजह से अब कांग्रेस महाराष्ट्र में बेहद सतर्क होकर चल रही है। सोमवार को हुई एक अहम बैठक में राहुल गांधी ने अपने नेताओं को साफ-साफ आगाह किया कि ओवर कॉन्फिडेंस से बचना होगा। उन्होंने कहा, “आप सभी को एकजुट होकर काम करना है, और किसी भी तरह की आत्ममुग्धता से दूरी बनाए रखनी है।”
महाराष्ट्र में चुनावी बिगुल बजने वाला है, और इसके साथ ही झारखंड में भी विधानसभा चुनावों का शेड्यूल सामने आ सकता है। हाल ही में, हरियाणा में सत्ता पर काबिज होने की उम्मीद लगाए बैठी कांग्रेस को तगड़ा झटका लगा, जहां बीजेपी ने तीसरी बार बाजी मार ली। अब कांग्रेस महाराष्ट्र में अपनी चालों को बेहद सावधानीपूर्वक चला रही है, जबकि बीजेपी ने हरियाणा की जीत से महाराष्ट्र में भी हौसला बुलंद किया हुआ है।
महाराष्ट्र में सीट शेयरिंग का मसला भी सामने है। उद्धव ठाकरे गुट सबसे अधिक सीटें मांग रहा है, जबकि कांग्रेस का दावा है कि लोकसभा चुनाव के प्रदर्शन के आधार पर उसे ज्यादा सीटें मिलनी चाहिए। हालांकि, एक बात पर सभी सहमत हैं कि चुनाव में तीनों पार्टियां एकजुट होकर ही उतरेंगी। महाविकास अघाड़ी ने लोकसभा में 48 में से 31 सीटें जीती थीं, जिससे उनका मनोबल ऊंचा है, लेकिन हरियाणा के अप्रत्याशित नतीजों ने कांग्रेस को चौकन्ना कर दिया है।
अब कांग्रेस ने ठान लिया है कि मतभेदों को फिलहाल किनारे रखकर चुनावी रण में उतरना है। सीएम फेस का ऐलान फिलहाल नहीं होगा, अब तक तीनों दलों के बीच जो बात हुई है, उसके अनुसार कांग्रेस 110 से 115 सीटों पर चुनाव लड़ेगी, जबकि उद्धव सेना 90 से 95 और शरद पवार की एनसीपी 80 से 85 सीटों पर किस्मत आजमाएगी।