
सर्वोच्च न्यायालय ने महाराष्ट्र विधानसभा अध्यक्ष के कार्यालय को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है. मामला महाराष्ट्र के उप मुख्यमंत्री अजित पवार और उनके समर्थक राकांपा विधायकों को अयोग्य घोषित करने की मांग पर निर्णय लेने में हो रही देरी का है.
शीर्ष अदालत ने शरद पवार गुट की ओर से दाखिल याचिका पर विचार करते हुए यह आदेश दिया है. एनसीपी नेता जयंत पाटिल की ओर दाखिल याचिका में उप मुख्यमंत्री अजित पवार और उनके समर्थक विधायकों को अयोग्य घोषित करने की मांग को लेकर दाखिल अर्जी पर विधानसभा अध्यक्ष को जल्द से जल्द निर्णय लेने का आदेश देने की मांग की है.
मामले की सुनवाई 13 अक्तूबर को की जाएगी मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मश्रिा की पीठ ने याचिका पर नोटिस जारी करते हुए कहा कि मामले की सुनवाई 13 अक्तूबर को की जाएगी. पीठ ने कहा कि इस मामले की सुनवाई महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और अन्य विधायकों को अयोग्य घोषित करने की मांग से संबंधित याचिका के साथ ही की जाएगी. उप मुख्यमंत्री अजित पवार की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने शीर्ष कोर्ट को बताया कि उनके मुवक्किल व अन्य को अयोग्य घोषित करने की मांग को लेकर सितंबर में ही अर्जी दाखिल की गई. याचिकाकर्ता ने जल्दबाजी में सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है. याचिकाकर्ता पाटिल की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने पीठ से कहा कि वरिष्ठ अधिवक्ता पूरी सच्चाई कोर्ट के सामने नहीं रख रहे हैं.
असंवैधानिक फैसले पर ही सुप्रीम कोर्ट का हस्तक्षेपनार्वेकर
महाराष्ट्र विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर ने सोमवार को कहा कि शीर्ष कोर्ट विधायिका के किसी फैसले में तभी हस्तक्षेप करेगा, जब वह निर्णय असंवैधानिक हो या कानून को नजरअंदाज करता हो. नार्वेकर पिछले वर्ष जून में उद्धव ठाकरे खेमा छोड़ने वाले शिवसेना विधायकों को अयोग्य ठहराने की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिकाओं पर यहां मीडिया के सवाल का जवाब दे रहे थे. पिछले साल जून में एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में शिवसेना में हुए विद्रोह के कारण पार्टी में विभाजन हो गया था.