![Janeu Sanskar: जानें क्यों कराया जाता है जनेऊ संस्कार, इसका सही समय क्या है... 1 Janeu Sanskar](https://i0.wp.com/www.aamaadmi.in/wp-content/uploads/2024/06/Janeu.webp?resize=780%2C470&ssl=1)
जनेऊ संस्कार किशोरावस्था में पहुंचने से पहले करना चाहिए। किसी भी अनुभवी पुजारी द्वारा यह कार्य किया जाता है।
Janeu Sanskar: जनेऊ संस्कार को सनातन धर्म में बहुत महत्वपूर्ण माना गया है। यह संस्कार 16 संस्कारों में से एक है, इसको जनेऊ संस्कार या फिर उपनयन संस्कार भी बोला जाता है।
बालक के शरीर पर जनेऊ संस्कार के दौरान एक पवित्र धागा बांध दिया जाता है, यह बालक के किशोरावस्था में प्रवेश का प्रतीक होता है। आइए जानते है जनेऊ संस्कार से जुड़ी कुछ जरूरी बातें…
जनेऊ संस्कार का उचित समय (Proper time for sacred thread ceremony)
8 से 16 वर्ष की आयु के बीच जनेऊ संस्कार का कार्य होता है। इसे कुछ लोग शादी से पूर्व भी करते हैं। इस संस्कार के बारे में कई तरह की मान्यताएं हैं। लेकिन ऐसा माना जाता है कि जनेऊ संस्कार किशोरावस्था में पहुंचने से पूर्व ही कराया जाना चाहिए। बाएं कंधे पर और दाईं बांह के नीचे जनेऊ को धारण किया जाता है।
जनेऊ का सनातन धर्म में विशेष महत्व है।ये भी माना जाता है कि इसे धारण करने पर बच्चे को अच्छा ज्ञान प्राप्त करने और अपने नैतिक मूल्यों को बनाए रखने की प्रबल शक्ति मिलती है।
जनेऊ को पहनने और इसके नियमों का सही से पालन करने पर बच्चों में अनुशासन आता है। क्योंकि, इससे संबंधित पवित्र नियमों के पालन करने के बारे में सिखाया जाता है।
क्यों धारण करें जनेऊ?
सनातन धर्म की माने तो, उपनयन संस्कार को नकारात्मक ऊर्जाओं और गलत विचारों से सुरक्षा का कवच कहा जाता है। इसमें पाए जाने वाले तीन धागे मां सरस्वती,मां लक्ष्मी और मां पार्वती के प्रतीक के रूप में रहते हैं।
सभी तरह की अशुद्धियों से जनेऊधारी सुरक्षित रहता है। व्यक्ति में इससे सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। शिक्षा के लिए भी यह ध्यान को केंद्रित करने में लाभदायक है।
दी गई जानकारी मान्यताओं और विभिन्न स्रोतों से ली गई है,इसकी प्रमाणिकता की हम पुष्टि नहीं करते,अतः पाठक इसे एक सूचना की तरह ले।