
आंध्र प्रदेश के तिरुपति मंदिर के प्रसिद्ध लड्डू, जिन्हें ‘श्रीवारी लड्डू’ कहा जाता है, को लेकर एक बड़ा विवाद सामने आया है। आरोप है कि लड्डू बनाने में इस्तेमाल होने वाले घी में जानवर की चर्बी मिली है। इस विवाद के बाद कई नेताओं ने अपनी प्रतिक्रिया दी है, और घी की आपूर्ति की जांच भी शुरू हो गई है।
तिरुपति लड्डू का महत्व तिरुपति लड्डू भगवान वेंकटेश्वर का पसंदीदा प्रसाद माना जाता है। हर दिन इन लड्डुओं को बनाने के लिए 907 किलो बेसन, 10 टन चीनी, 700 किलो काजू, 150 किलो इलायची, और 300-500 लीटर घी का इस्तेमाल किया जाता है।
लड्डू विवाद की शुरुआत कैसे हुई?
आंध्र प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने आरोप लगाया कि सरकार ने लड्डू बनाने में घटिया सामग्री और पशु वसा का इस्तेमाल किया। इसके बाद TDP प्रवक्ता ने दावा किया कि घी के नमूनों में जानवर की चर्बी की पुष्टि एक प्रयोगशाला ने की है।
नारा लोकेश का बयान मुख्यमंत्री नायडू के बेटे नारा लोकेश ने कहा कि प्रयोगशाला की रिपोर्ट से यह साफ हो गया है कि लड्डू बनाने में मछली का तेल और गोमांस की चर्बी का इस्तेमाल हुआ था।
जेपी नड्डा की प्रतिक्रिया भाजपा प्रमुख जेपी नड्डा ने इस मुद्दे पर आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री से रिपोर्ट मांगी है और FSSAI के मानकों के अनुसार कार्रवाई की मांग की है।
YSR कांग्रेस का खंडन YSR कांग्रेस नेता वाईवी सुब्बा रेड्डी ने इन आरोपों को गलत बताया है और कहा है कि भगवान के प्रसाद में जानवर की वसा का इस्तेमाल करना एक बेतुका आरोप है।
TTD कैसे खरीदता है घी?
TTD (तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम) हर छह महीने में ई-टेंडर के जरिए घी खरीदता है। हर साल 5 लाख किलोग्राम घी खरीदा जाता है। कुछ समय पहले कर्नाटक मिल्क फेडरेशन ने घी की आपूर्ति बंद कर दी थी, जिसके बाद से नए आपूर्तिकर्ताओं से घी खरीदा जा रहा है।