आगामी लोकसभा चुनाव से पहले शरद पवार को बड़ी राहत मिली है. सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के शरद पवार गुट को लोकसभा और विधानसभा दोनों चुनावों के लिए ‘एनसीपी-एससीपी’ नाम और तुरही बजाता आदमी के चुनाव चिह्न का इस्तेमाल करने की अनुमति दे दी है.
कोर्ट ने चुनाव आयोग को शरद पवार गुट की एनसीपी को तुरही बजाता आदमी चुनाव चिह्न देने का निर्देश दिया. इसके अलावा, शीर्ष अदालत ने अजीत पवार गुट को किसी भी चुनाव प्रचार सामग्री में एनसीपी संस्थापक शरद पवार के नाम या तस्वीर का इस्तेमाल करने से भी रोक दिया है.
वहीं, कोर्ट ने अजित पवार ग्रुप को एक सार्वजनिक नोटिस जारी करने का भी आदेश दिया है कि उसका ‘घड़ी’ चुनाव चिह्न का इस्तेमाल शीर्ष अदालत के समक्ष लंबित अपील के फैसले के अधीन है. कोर्ट ने कहा कि तब तक ऐसी घोषणा सभी विज्ञापनों के साथ की जानी चाहिए. पिछले हफ्ते, जस्टिस सूर्यकांत और केवी विश्वनाथन की बेंच ने चुनाव प्रचार के लिए शरद पवार के नाम और तस्वीरों के कथित इस्तेमाल को लेकर अजित पवार खेमे की खिंचाई की थी.
इससे पहले, सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजित पवार से कहा था कि वोट पाने के लिए वह अपने चाचा और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के संस्थापक शरद पवार की पीठ पर सवार न हों.
जस्टिस सूर्यकांत और केवी विश्वनाथन की खंडपीठ ने कहा था कि अजीत पवार को अपनी पार्टी के पर्चे और नोटिस पर बड़े पवार की तस्वीरों और नाम का इस्तेमाल करने से बचना चाहिए.
जस्टिस सूर्यकांत ने अजीत पवार ग्रुप की ओर से पेश हुए वरिष्ठ वकील मनिंदर सिंह से सवाल किया था कि आप उनकी (शरद पवार) तस्वीर का इस्तेमाल क्यों कर रहे हैं? यदि आप अपनी लोकप्रियता और एक जननेता होने के प्रति इतने आश्वस्त हैं, तो आपको अपनी तस्वीरों पर वोट मिलते हैं. आप उसकी पीठ पर सवार क्यों हैं? शरद पवार गुट की ओर से पेश हुए वरिष्ठ वकील सिंघवी ने कहा कि अगर आपमें (अजित पवार खेमे में) हिम्मत है, तो अपना वोट खुद हासिल कीजिए.