
बेंगलुरु. कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया(Siddaramaiah) को MUDA लैंड स्कैम में उच्च न्यायालय से बड़ा झटका लगा है। अदालत ने उनकी याचिका खारिज कर दी,कोर्ट ने कहा कि याचिका में दिए गए तथ्यों की जांच जरूरी है और राज्यपाल को अभियोजन की मंजूरी देने का अधिकार है।
यह मामला 3.14 एकड़ जमीन से जुड़ा है, जो सिद्धारमैया की पत्नी पार्वती के नाम है। बीजेपी इस मुद्दे पर मुख्यमंत्री Siddaramaiah और उनकी सरकार पर आरोप लगा रही है और उनके इस्तीफे की मांग कर रही है। कर्नाटक के राज्यपाल थावरचंद गहलोत ने सिद्धारमैया के खिलाफ केस चलाने की अनुमति दी है।
सिद्धारमैया ने इन सभी आरोपों को खारिज किया है और राज्यपाल के फैसले को असंवैधानिक बताया है। उन्होंने इसे अदालत में चुनौती दी है, यह कहते हुए कि राज्यपाल सरकार को बर्दाश्त नहीं कर पा रहे हैं।
MUDA क्या है?
MUDA का मतलब मैसूर शहरी विकास प्राधिकरण है। यह संस्था मैसूर शहर के विकास के लिए जिम्मेदार है और यह जमीनों के अधिग्रहण और आवंटन का काम करती है। इस मामले में MUDA का नाम इसलिए आया है क्योंकि 2004 में कुछ अनियमितताएं हुई थीं, जब सिद्धारमैया मुख्यमंत्री थे।
पूरा मामला
1992 में, MUDA ने कुछ जमीन किसानों से ली थी ताकि उसे रिहायशी क्षेत्र में विकसित किया जा सके। 1998 में, MUDA ने कुछ जमीन वापस किसानों को लौटा दी, जिससे वह फिर से कृषि भूमि बन गई। विवाद तब शुरू हुआ जब 2004 में सिद्धारमैया की पत्नी पार्वती के भाई ने उसी जमीन में 3.16 एकड़ खरीदी। उस समय सिद्धारमैया डिप्टी सीएम थे। उस जमीन को फिर से कृषि भूमि से अलग किया गया, लेकिन जब सिद्धारमैया का परिवार वहां मालिकाना हक लेने गया, तब तक वहां लेआउट विकसित हो चुका था।