
नई दिल्ली . भाजपा नेतृत्व ने विधानसभा चुनावों में मिली जीत के बाद राज्यों में नए नेतृत्व को उभार कर भविष्य की रणनीति के भी संकेत दिए हैं. पार्टी में पीढ़ीगत बदलाव की यह प्रक्रिया लोकसभा चुनाव में भी जारी रहेगी. इस प्रक्रिया से प्रभावित होने वाले प्रमुख पुराने नेताओं को केंद्रीय राजनीति में लाए जाने की संभावना है. संकेत हैं कि लोकसभा की हारी हुई और कई कमजोर सीटों पर इन नेताओं को उतारा जा सकता है.
राज्यसभा सांसद भी लोकसभा चुनाव लड़ सकते हैं सूत्रों के अनुसार राज्यों के कई प्रमुख नेता व कुछ राज्यसभा सांसद इस बार लोकसभा चुनाव लड़ सकते हैं. इनमें विधायक व विधान पार्षद भी शामिल हो सकते हैं. कुछ नेताओं ने तो अपनी संभावित सीटों को लेकर तैयारी भी शुरू कर दी है. जिन नेताओं को लोकसभा चुनाव मैदान में उतारा जा सकता है उन्हें पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, वसुंधरा राजे, सर्वानंद सोनोवाल, विप्लव देव, विजय रूपानी, त्रिविंद्र रावत, देवेंद्र फणनवीस ने नामों की भी चर्चा है. इनके अलावा कुछ पूर्व सांसदों को भी उतारा जा सकता है.
160 सीटों पर लगातार मेहनत भाजपा ने दो साल पहले ही हारी हुई सीटों को अपना लक्ष्य बनाया था. बाद में इसमें कुछ कमजोर सीटों को भी जोड़ा गया. ऐसी लगभग 160 से ज्यादा सीटों पर उसके बड़े नेता लगातार मेहनत कर रहे हैं. इनमें केंद्रीय मंत्री व राष्ट्रीय पदाधिकारी भी शामिल हैं.
सूत्रों के अनुसार हाल में हुए विधानसभा चुनावों में हारी हुई प्रमुख सीटों पर बड़े नेताओं को चुनाव लड़ाने की सफलता के बाद भाजपा इस फार्मूले को लोकसभा चुनाव में भी ले जाएगी. इससे उस सीट पर तो माहौल बनेगा ही, आसपास की सीटों पर भी असर पड़ेगा.
50 वोट का लक्ष्य
भाजपा के लिए मिशन 2024 बीते सभी लोकसभा चुनावों से काफी बड़ा है. पार्टी ने इस चुनाव में 50 फीसद वोट का लक्ष्य रखा है. ऐसे में यह आंकड़ा चार सौ सीटों के पार भी जा सकता है. इसके पहले 1984 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने ही पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के नेतृत्व में लगभग 49 फीसद वोटों के साथ 404 सीटों पर जीत दर्ज की थी.