
नई दिल्ली.बॉलीवुड की मशहूर अभिनेत्री ममता कुलकर्णी, जिन्होंने 90 के दशक में कई हिट फिल्मों में काम किया, हाल ही में महाकुंभ 2025 के दौरान किन्नर अखाड़ा की महामंडलेश्वर बनीं। हालांकि, यह पद उन्हें सिर्फ 7 दिनों के लिए ही मिला, क्योंकि किन्नर अखाड़ा के संस्थापक ऋषि अजय दास ने आचार्य महामंडलेश्वर लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी और ममता कुलकर्णी को पद से हटाकर निष्कासित कर दिया। इस फैसले के बाद साधु-संतों और किन्नर अखाड़ा में काफी विवाद देखने को मिला।
ममता कुलकर्णी: बॉलीवुड से आध्यात्म तक का सफर
ममता कुलकर्णी 90 के दशक की एक लोकप्रिय अभिनेत्री थीं, जिन्होंने ‘करण अर्जुन’ (1995), ‘बाजी’ (1995) और ‘चाइना गेट’ (1998) जैसी फिल्मों में काम किया। वह अपनी बोल्ड इमेज और दमदार अभिनय के लिए जानी जाती थीं। फिल्म इंडस्ट्री में सफल करियर के बावजूद उन्होंने अचानक ग्लैमर की दुनिया को अलविदा कहकर आध्यात्मिक जीवन अपना लिया।
ममता कुलकर्णी ने कब लिया संन्यास?
जब ममता कुलकर्णी के संन्यास लेने की खबर आई, तो लोगों को काफी हैरानी हुई। इसके बाद जब उन्होंने महाकुंभ में महामंडलेश्वर की उपाधि ली, तो कई साधु-संतों ने इस पर सवाल उठाए। उनका कहना था कि कोई भी व्यक्ति एक दिन में संन्यासी नहीं बन सकता। कई लोगों ने यह भी आरोप लगाया कि उनका भगवा वस्त्र धारण करना मात्र एक दिखावा है। इन्हीं विवादों के बीच ममता कुलकर्णी इंडिया टीवी के चर्चित शो ‘आप की अदालत’ में नजर आने वाली हैं, जहां वे अपनी आध्यात्मिक यात्रा और इन सभी विवादों पर खुलकर बात करेंगी।
क्या ममता कुलकर्णी फिल्मों में वापसी करेंगी?
ममता कुलकर्णी ने आध्यात्मिकता को अपनाने के बाद फिल्मों में वापसी करने से साफ इनकार कर दिया। इंडिया टीवी के शो ‘आप की अदालत’ में उन्होंने कहा कि फिल्मों में लौटने की कल्पना भी नहीं कर सकतीं और यह उनके लिए अब पूरी तरह असंभव है। उन्होंने अपने आध्यात्मिक सफर को संतोषजनक बताया और कहा कि अब वह इसी रास्ते पर आगे बढ़ेंगी।
मंत्रोच्चार में गलती, हुईं ट्रोल
हाल ही में वायरल हुए एक वीडियो में, जब ममता कुलकर्णी से वेदों और शास्त्रों पर सवाल किए गए, तो उन्होंने आंखें बंद कर आलथी-पालथी मारकर मंत्रोच्चार किया। हालांकि, उन्होंने मंत्रों का गलत उच्चारण किया, जिसके कारण उन्हें सोशल मीडिया पर ट्रोल भी किया गया।
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किन्नर अखाड़े से निष्कासन पर विवाद
ममता कुलकर्णी की आध्यात्मिक यात्रा विवादों से घिरी रही। महामंडलेश्वर बनाए जाने के कुछ ही दिनों बाद, किन्नर अखाड़े के संस्थापक अजय दास ने उन्हें और आचार्य महामंडलेश्वर लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी को निष्कासित कर दिया। रिपोर्ट्स के अनुसार, अजय दास और लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी के बीच मतभेद थे, जिसकी वजह से यह निर्णय लिया गया। त्रिपाठी ने इस निष्कासन को गलत बताते हुए अजय दास के अधिकारों पर भी सवाल उठाए।