![Happy New Year 2025: नए साल का स्वागत साहित्य की खुशरंग कलम से... 1 लेखिका - खुशबु खुशरंग](https://i0.wp.com/www.aamaadmi.in/wp-content/uploads/2025/01/lekhika.webp?resize=780%2C470&ssl=1)
Happy New Year 2025: कैलेंडर के पन्नों में बंधे इस साल में खुशियों को जीने के लिए टेक्निकली एक दिन ज़्यादा मिले, यानी 366 दिन क्योंकि 2024 लीप ईयर था!
वाकई सच कहते हैं कि कैलेंडर ही तो बदलता है, जिंदगी नहीं बदलती! पर समय और नियति ने इस साल मुझे बेहद ही उम्दा और सुंदर व्यक्तित्व के लोगों से मिलाया जिसके लिये मैं इस सुंदर वर्ष की आभारी हूँ।
कैलेंडर के पन्ने पलटते रहें और सुंदर यादों का कारवां बनता चला जाए, यही जीवन की असली जमा पूंजी है।
हम पहले से ज़्यादा अपनी भावनाओं को लेकर कितने सरल हुए, कितने सहज हुए? हमने किसी बात पर कैसे रिएक्ट किया या समझदारी से रिस्पांड किया? हमने अपने दुःखों, अपनी पीड़ाओं से उबरने का रास्ता ढूंढा या बस रोते रहे? हमने अपने लिये क्या सीखा, क्या पढ़ा, खुश रहने के छोटे-छोटे बहानों को बटोर पाए या नहीं, असलियत में प्रेम बाँट पाए या नहीं? दूसरों को बढ़ता देख संतुष्ट और खुश रहे या नहीं? अपने सपनों की ओर बढ़े या नहीं? तमाम सवाल हैं….ये सवाल बहुत सरल हैं, लेकिन क्या इनका जवाब इतना ही आसान है? ये तो हम सभी को तय करना होगा!
2024 में लगा कि अपनी भावनाओं को शब्द नहीं दे पाई…एकदम से जैसे लिखना भूल गयी, सामान्य एहसासों और अच्छे-बुरे लम्हों को कागज़ पर उतार नहीं पाई। यकीनन 2025 में खूब सारा लिखना चाहती हूं और लिखूंगी भी। कम से हमें अपना बहीखाता खुद ही लिखना चाहिए और रेगुलर।
सारे विचार, एहसास, बात, स्थितियां…सब कुछ लिख डालने की इच्छा….हर विपरीत परिस्थितियों में कैसे इस ब्रह्मांड और सकारात्मक ऊर्जा ने अलग-अलग रूप में रक्षण किया, सबलता दी, इन बातों को लेकर कई बार आश्चर्य किया, लेकिन धीरे-धीरे समझ आया कि केंद्र बिंदु ही आप स्वयं हैं।
बढ़ती और बदलती दुनिया ने हमें ट्रेंड के साथ जीना सिखाया, लेकिन ट्रेंड फॉलो करने में असफल रही या शायद फॉलो करने की कोशिश ही नहीं की। हम सब अपने संस्कार लेकर जन्म लेते हैं। बढ़ते-बढ़ते यही संस्कार हमें स्वयं के साथ औरों के जीवन सँवारने के लिए प्रेरित करते हैं….और यही वजह है कि जीने के तो अपने उसूल हैं।
नए ज़माने में फिट बैठने के लिए न जाने कौन से मापदण्ड पूरे करने होंगे, बड़े सतही लगने लगते हैं। मन वही पुराना सा है एकदम ओल्ड स्कूल सोल!
ये लिखते हुए गाना याद आ गया…
एक पल का जीना, फिर तो है जाना
तौफा क्या लेके जाएं, दिल ये बताना
खाली हाथ आए थे हम
खाली हाथ जाएँगे
बस प्यार के दो मीठे बोल झिलमिलाएँगे
तो हंस क्यूँ की दुनिया को है हंसाना
ऐ मेरे दिल तू गाए जा
बड़े दिनों बाद कुछ लिखा जा रहा है, वो थोड़ा सिंक्रोनाइजेशन बैठ नहीं रहा होगा जब आप पढ़ रहे होंगे, भावनाओं में इधर-उधर भटक जा रहा है चुलबुला लेखक!….कोई बात नहीं पढ़ने की इच्छा हो तो पढ़ लीजिये वरना 2026 में हम पढ़कर खुद ही खुश हो लेंगे!
खैर बात हो रही थी जीवन की तो वापस आते हैं अपने एपिसोड पर…इस साल अंग्रेज़ी में एक नया शब्द मिला पढ़ते हुए ‘Procastination’ जिसका मल्लब है कि किसी काम को करने की अनिच्छा के चलते उसे टालते रहना। सीधा पॉइंट पर आते हैं इसका शुद्ध अर्थ है ‘अलाली’, अंग्रेज़ी के महंगे शब्द नकारात्मक शब्दों को भी सुंदर बना देते हैं, एकदम एहे असन ….! हां, तो वर्तमान में जो अलाली का दौर चल रहा है न जीवन के लिए भयंकर हानिकारक सिद्ध होने वाला है। हर दिन बढ़ती अप्रिय घटनाएं, अचानक दिल के दौरे पड़ना और न जाने ज़िन्दगी का क्या भरोसा….नया दौर अपने साथ ढेर सारी चुनौतियां लेकर आ रहा है….
इतना सब देखने, सुनने, जानने के बाद भी हम अपने कर्म को स्थिर और सुंदर नहीं कर पा रहे। दरअसल यहाँ मानसिक विचारों को बेहतर बनाकर सँवारने वाली बात हो रही है। लिखते-लिखते बहुत देर हो जाएगी और समय भी इसलिए जाने देते हैं इस बात को कभी और करेंगे, उँहूँ….Procastinate नहीं कर रही हूँ जी!
बहरहाल, सभी के जीवन में उत्साह और उमंग बना रहे। मन मजबूत बना रहे, सकारात्मकता आपके साथ-साथ वेताल की तरह लटकी रहे….मन के प्रेम को असल मायने में खूब बाँटिये, कुंठित रहकर कचर-कचर में जीवन खत्म मत करिए…..
बाकी तो जो है सो तो हइये है……!
फिर से एक बार सभी को प्यार, ख्याल और दुलार पहुँचे, कृतज्ञ हूँ…नया कैलेंडर मुबारक हो!
लेखिका – खुशबु खुशरंग