
भारत के सबसे प्रतिष्ठित उद्योगपतियों में से एक, Ratan Tata, अब नहीं रहे। 9 अक्टूबर 2024 की रात मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल में 89 साल की उम्र में उनका निधन हो गया। लंबे समय से स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं से जूझते हुए भी, रतन टाटा ने अपने जीवन की आखिरी सांस तक एक ऐसे आदर्श का निर्माण किया, जो न केवल भारत के उद्योग जगत के लिए बल्कि हर भारतीय के लिए प्रेरणा का स्रोत बना रहेगा।
उनके निधन के बाद, एक वीडियो तेजी से वायरल हो रहा है—यह उनका अंतिम सार्वजनिक भाषण है, जिसे सुनकर लोग भावुक हो रहे हैं। 28 अप्रैल 2022 को असम में कैंसर अस्पतालों के उद्घाटन के मौके पर दिए गए इस भाषण में रतन टाटा ने कुछ ऐसा कहा जो सबके दिलों को छू गया। इस भाषण में उन्होंने टूटी-फूटी हिंदी का उपयोग करके असम के लोगों से सीधे जुड़ने की कोशिश की, भले ही उनकी मातृभाषा अंग्रेज़ी रही हो।
Ratan Tata ने भाषण की शुरुआत में ईमानदारी से कहा, “मैं हिंदी में भाषण नहीं दे सकता, इसलिए इंग्लिश में बोलूंगा।” इसके बावजूद उन्होंने असम के लोगों के प्रति सम्मान दिखाने के लिए हिंदी में कुछ शब्द बोले, जो सीधे दिल से निकले थे। उन्होंने कहा, “आज असम दुनिया को दिखा सकता है कि इंडिया का एक छोटा स्टेट भी कैंसर का इलाज कर सकता है।” इन शब्दों में केवल उनके विश्वास की झलक नहीं थी, बल्कि असम की ताकत को पहचानने और उसे दुनिया के सामने लाने का सपना भी था।
यह भाषण उस अवसर का था जब टाटा ट्रस्ट की मदद से असम में कैंसर अस्पतालों का उद्घाटन किया जा रहा था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा भी उस समारोह में उपस्थित थे। रतन टाटा ने अपने भाषण में इस ऐतिहासिक पल को राज्य के भविष्य के लिए एक बड़ा कदम बताया और प्रधानमंत्री मोदी को असम को न भूलने के लिए धन्यवाद दिया। उन्होंने कहा, “मुझे उम्मीद है कि यह स्टेट और आगे बढ़ेगा, भारत का झंडा और ऊंचा लहराएगा।”