
दिल्ली विधानसभा चुनाव अब मात्र कुछ महीनों दूर हैं, और आम आदमी पार्टी (AAP) पहले से ही चुनावी मोड में आ चुकी है। अरविंद केजरीवाल, जो खुद को दिल्ली की राजनीति में बड़ा चेहरा मानते हैं, इन चुनावों में अपनी पार्टी को फिर से सत्ता में लाने के लिए हर संभव प्रयास कर रहे हैं। महिला वोटरों को आकर्षित करने के लिए उन्होंने महिला सम्मान योजना की शुरुआत की है, जिसमें महिलाओं को हर महीने एक हजार रुपये दिए जाएंगे। हालांकि, यह योजना कितनी प्रभावी है, यह एक बड़ा सवाल बनकर सामने आ रहा है।
इंडिया टीवी पोल में जब जनता से पूछा गया कि क्या अरविंद केजरीवाल की महिला सम्मान योजना आम आदमी पार्टी को चुनावी फायदा पहुंचाएगी, तो अधिकांश ने इसका विरोध किया। पोल में 65 प्रतिशत लोगों ने यह कहा कि इस योजना से आम आदमी पार्टी को कोई फायदा नहीं होगा। केवल 30 प्रतिशत लोगों ने यह माना कि इस योजना से पार्टी को दिल्ली विधानसभा चुनाव में लाभ मिलेगा, जबकि बाकी 5 प्रतिशत ने ‘कह नहीं सकते’ का विकल्प चुना। इस परिणाम से यह साफ होता है कि अरविंद केजरीवाल की यह योजना अधिकतर जनता के लिए कोई प्रभावी कदम नहीं मानी जा रही है।
महिला सम्मान योजना को लेकर अरविंद केजरीवाल के दावे और मुफ्त में पैसे देने के वादे पर लगातार सवाल उठते रहे हैं। पहले भी आम आदमी पार्टी पर मुफ्त की योजनाओं से जनता को लुभाने के आरोप लगते रहे हैं। इस बार भी योजना को लेकर यही तर्क दिया जा रहा है कि यह सिर्फ चुनावी फायदे के लिए एक चुनावी हथकंडा है, न कि किसी वास्तविक महिला सशक्तिकरण की दिशा में कदम। जब से योजना की शुरुआत हुई है, तब से यह सवाल उठ रहा है कि क्या यह एक ‘नौवीं रेवड़ी’ के रूप में पेश की जा रही है, जैसा कि खुद केजरीवाल ने इसे संदिग्ध रूप से स्वीकार किया है।
इससे पहले मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, और झारखंड जैसे राज्यों में भी बीजेपी और अन्य दलों ने ऐसी योजनाओं का सहारा लिया था और राजनीतिक लाभ प्राप्त किया था। हालांकि, इन योजनाओं के लंबे समय तक सफल होने के दावे अक्सर निराधार होते हैं। आम आदमी पार्टी ने भी ऐसी ही योजना अपनाई है, परंतु इंडिया टीवी पोल के परिणाम यह संकेत देते हैं कि जनता इस पर विश्वास करने के लिए तैयार नहीं है।
अरविंद केजरीवाल और आम आदमी पार्टी की यह महिला सम्मान योजना शायद उनके लिए एक आखिरी राजनीतिक चाल हो, लेकिन जब तक यह योजना वास्तविक सशक्तिकरण की दिशा में न हो, तब तक इसके राजनीतिक लाभ को लेकर संदेह बना रहेगा।