
दिल्ली में आगामी विधानसभा चुनाव 2025 में आम आदमी पार्टी (AAP) लगातार चौथी बार सरकार बनाने की उम्मीद कर रही है। पार्टी के नेता अरविंद केजरीवाल और उनकी कल्याणकारी योजनाएं उनकी सबसे बड़ी ताकत हैं। लेकिन इस बार के चुनाव को लेकर पार्टी के सामने कई कठिनाइयाँ हैं। यदि हम पिछले चुनावों के वोटिंग पैटर्न का विश्लेषण करें, तो हमें तीन मुख्य संयोग दिखाई देते हैं, जिनसे पार पाकर AAP को जीत हासिल करना चुनौतीपूर्ण हो सकता है।
1) AAP और केजरीवाल की लोकप्रियता का गिरता ग्राफ
आम आदमी पार्टी का राजनीतिक सफर 2013 के विधानसभा चुनाव से शुरू हुआ। उस चुनाव में AAP ने 29.5% वोट हासिल कर दूसरा स्थान पाया और कांग्रेस के समर्थन से सरकार बनाई, लेकिन यह सरकार केवल दो महीने तक ही चल पाई। 2015 में, पार्टी ने चुनाव में शानदार वापसी की और 67 सीटें जीतीं। हालाँकि, 2020 में हुए चुनाव में AAP की सीटें घटकर 62 रह गईं। हाल के MCD चुनावों में भी पार्टी की लोकप्रियता में कमी आई, जहाँ उसका वोट शेयर गिरकर 42% रह गया। इस गिरावट के चलते AAP को गंभीर चुनौती मिल सकती है।
2) वोट स्विंग से AAP का ताज छिनने का खतरा
2020 में AAP को मिले वोटों का विश्लेषण करने पर पता चलता है कि बीजेपी को केवल 6% अधिक वोट की आवश्यकता होगी ताकि वह AAP को हरा सके। यदि कांग्रेस अपने 4.26% वोटों पर ठहरी रहती है, तो इस स्थिति में बीजेपी को 36 सीटें मिल सकती हैं, जबकि AAP केवल 34 सीटों पर सीमित रह सकती है। हालांकि, इस विनिमय की कठिनाई AAP के लिए चुनौती प्रस्तुत कर सकती है।
3) स्पॉइलर का वोट शेयर बढ़ना
2013 के विधानसभा चुनाव के दौरान, AAP के लिए कांग्रेस एक ‘स्पॉइलर’ साबित हुई थी। उन चुनावों में, बीजेपी सरकार बनाने से चूक गई थी और AAP को कांग्रेस के समर्थन से सरकार बनानी पड़ी थी। पिछले दो चुनावों में, कांग्रेस का कोई प्रभाव नहीं दिखाई दिया था, जिससे AAP को लाभ मिला था। यदि इस बार कांग्रेस या कोई अन्य पार्टी अपना वोट शेयर बढ़ाने में सफल रहती है, तो यह AAP के लिए गंभीर खतरा पैदा कर सकता है।
इन संयोगों के चलते, आम आदमी पार्टी को अपने वोट बैंक और चुनावी रणनीतियों में सुधार करने की आवश्यकता है, ताकि दिल्ली में उनकी स्थिति सुरक्षित रह सके।