दिल्ली में चुनावी माहौल के बीच आम आदमी पार्टी (AAP) ने भारतीय जनता पार्टी (BJP) पर गंभीर आरोप लगाए हैं। AAP का कहना है कि बीजेपी ने दिल्ली के थिएटर मालिकों को धमका कर अरविंद केजरीवाल पर बनी डॉक्यूमेंट्री “अनब्रेकेबल” की स्क्रीनिंग रोकने की कोशिश की है। इस मुद्दे पर आम आदमी पार्टी ने बीजेपी को जिम्मेदार ठहराया है और दावा किया कि दिल्ली पुलिस ने बीजेपी के दबाव में स्क्रीनिंग की अनुमति नहीं दी।
डॉक्यूमेंट्री की स्क्रीनिंग पर विवाद
यह डॉक्यूमेंट्री अरविंद केजरीवाल और आम आदमी पार्टी के नेताओं के तिहाड़ जेल जाने और फिर बाहर आने की कहानी पर आधारित है। शनिवार को दिल्ली के प्यारेलाल भवन में इस डॉक्यूमेंट्री की स्क्रीनिंग का आयोजन किया गया था, जिसमें दिल्ली की मुख्यमंत्री आतिशी को भी शामिल होना था। लेकिन डॉक्यूमेंट्री निर्माता का कहना है कि दिल्ली पुलिस ने स्क्रीनिंग की अनुमति नहीं दी, जिसके कारण इसे रद्द कर दिया गया।
AAP का आरोप: बीजेपी ने थिएटर मालिकों को धमकाया
आम आदमी पार्टी के सूत्रों का कहना है कि बीजेपी ने दिल्ली के थिएटर मालिकों को धमकाकर इस डॉक्यूमेंट्री की स्क्रीनिंग रोकने का प्रयास किया। AAP ने बीजेपी को इसके लिए पूरी तरह से जिम्मेदार ठहराया है और कहा है कि उनकी पार्टी इस डॉक्यूमेंट्री को किसी भी कीमत पर दिखाएगी। AAP का यह भी कहना है कि बीजेपी के इस प्रयास से उन्हें रोकने की कोशिशें विफल होंगी।
केजरीवाल की जेल यात्रा
इस डॉक्यूमेंट्री का मुख्य फोकस अरविंद केजरीवाल के जेल जाने और फिर बाहर आने पर है। मार्च 2024 में केजरीवाल को प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने आबकारी नीति घोटाले के आरोप में गिरफ्तार किया था और उन्हें तिहाड़ जेल भेजा गया था। हालांकि, जून 2024 में उन्हें जमानत मिल गई थी और वह जेल से बाहर आ गए थे। इसी घटनाक्रम को इस डॉक्यूमेंट्री में दर्शाया गया है, और यह विशेष रूप से दिल्ली विधानसभा चुनावों के दौरान समर्थकों को एकजुट करने के लिए दिखाई जा रही थी।
चुनावों के बीच AAP का रणनीतिक कदम
दिल्ली में आचार संहिता लागू होने के बावजूद, आम आदमी पार्टी इस डॉक्यूमेंट्री को चुनावी रणनीति के तौर पर देख रही है। AAP के नेताओं ने इस डॉक्यूमेंट्री को अपने समर्थकों के बीच अरविंद केजरीवाल के संघर्ष और उनकी पार्टी के नेताओं के जेल जाने की कहानी को बताने का एक तरीका माना है।
बीजेपी और दिल्ली पुलिस
इस विवाद में न तो भारतीय जनता पार्टी की ओर से कोई बयान आया है और न ही दिल्ली पुलिस ने कोई प्रतिक्रिया दी है। दिल्ली में 5 फरवरी को विधानसभा चुनाव प्रस्तावित हैं, और ऐसे में यह मुद्दा चुनावी घमासान का हिस्सा बन गया है।