
रायपुर। छत्तीसगढ़ राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष डॉ. किरणमयी नायक एवं सदस्यगण लक्ष्मी वर्मा एवं सरला कोसरिया ने आज छत्तीसगढ़ राज्य महिला आयोग के कार्यालय रायपुर में महिला उत्पीड़न से संबंधित प्रकरणों पर सुनवाई की। आयोग की अध्यक्ष डॉ. किरणमयी नायक की अध्यक्षता में प्रदेश स्तर पर आज 305 वी. सुनवाई हुई। रायपुर जिले में 147 वी. जनसुनवाई।
आज की सुनवाई के दौरान एक प्रकरण में आवेदिका का विवाह अनावेदक से 2006 में हुआ था, जिससे 18 वर्ष का पुत्र व 16 वर्ष की बेटी है। अनावेदक (पति) ने आवेदिका व बच्चों को 5 वर्षों से छोड़ रखा है और किसी भी प्रकार का भरण-पोषण नहीं देता ना ही बच्चों के जाति प्रमाण पत्र, टी.सी. अनावेदक के द्वारा दिया जा रहा है। अनावेदक (पति) ने आवेदिका से तलाक लिये बिना दूसरा विवाह कर लिया है जो कानूनी अपराध है। आयोग की समझाईश पर अनावेदक ने इस स्तर पर प्रस्ताव रखा कि वह दोनों बच्चों की पढ़ाई व भरण-पोषण के लिए प्रति माह 6 हजार रू. भरण-पोषण देगा। भरण-पोषण की पहली किश्त 19.03.2025 को आयोग के समक्ष अनावेदक (पति) आवेदिका को देगा।
एक प्रकरण में दोनो पक्षों ने आपसी रजामंदी से तलाक के लिए समझाईश दिया गया। इस स्तर पर एक मुश्त भरण-पोषण देने के लिए अनावेदक (पति) तैयार व आपसी रजामंदी से तलाक की प्रक्रिया न्यायालय में शुरू करने के पूर्व आवेदिका को दहेज का सामान वापस करेगा और 2 किश्तों में 50 हजार रू. आवेदिका को देगा। इसके पश्चात् प्रकरण नस्तीबध्द किया जायेगा।
एक अन्य प्रकरण में उभय पक्ष को सुना गया, आवेदिका ने बताया कि उसे रजिस्ट्री करने के समय जमीन का मूल्यांकन राशि नहीं दिया गया और अनावेदक से 38 लाख लेना है। जबकि वह रजिस्ट्री कर चुकी है। आवेदिका ने बताया कि अनावेदक ने 2010 में 7 लाख 25 हजार रू. दिया था। केवल उसी राशि के आधार पर अनावेदक ने आवेदिका को कोई राशि नहीं दिया था, अनावेदक ने रजिस्ट्री दस्तावेज दिखाया जिसमें जमीन का मूल्य देने के लिए 5 लाख का रू. देने का उल्लेख है लेकिन उक्त राशि आवेदिका को नहीं मिली है इसे अनावेदक ने स्वीकारा है। आयोग की समझाईश पर अनावेदक 1 माह के अंदर 15 लाख रू. आवेदिका को देने के लिए सहमत हुआ। उभय पक्षों के मध्य सुलहनामा तैयार कर 15 लाख रू. के आदान-प्रदान के दिन पर उस सुलहनामे में हस्ताक्षर और नोटराईजेशन करवाया जायेग। यदि अनावेदक के द्वारा राशि देने में आनाकानी की जाती है तो आवेदिका अपराधिक मामला दायर कर सकती है।
एक प्रकरण के दौरान आवेदिका ने बताया कि अनावेदक कार्यस्थल पर आवेदिका पर जातिगत टिप्पणी, अभद्रता व नीचा दिखाने का प्रयास सार्वजनिक रूप से कर अपमानित करता है। आयोग के समक्ष अनावेदक द्वारा विधिवत् जवाब देने के लिए समय की मांग किया गया।
आयोग में एक अन्य प्रकरण में आवेदिका ने अपने भतीजे और बैंक मैनेजर द्वारा झूठे दस्तावेज प्रस्तुत कर उसके नाम के जमीन को बैंक में गिरवी रखकर 10 लाख रू. का लोन निकालने का था। आवेदिका ने बताया कि अनावेदक द्वारा फर्जी तरीके से उसके जगह पर दूसरी महिला का फोटो लगाकर तत्कालीन बैंक मैनेजर के साथ साठ-गाठ कर बिना किसी वेरीफिकेशन के 10 लाख रू. लोन निकाला था, जिसमें आयोग द्वारा महज दो सुनवाई में मामले की लगभग पूरा निराकरण किया है। आयोग अध्यक्ष डॉ. किरणमयी नायक द्वारा वर्तमान बैंक मैनेजर को बैंक के मुख्य अधिकारी से इस मामले में जांच-पड़ताल कर कार्यवाही करते हुए बैंक द्वारा तत्कालीन बैंक मैनेजर के खिलाफ एफ. आई. आर दर्ज कराने का निर्देश दिया गया था जिसमें तत्कालीन बैंक मैनेजर तथा आवेदिका के भतीजे (अनावेदक) और इस गिरोह का एक अन्य व्यक्ति जो लोन लेने के समय में गारंटर बना था, इन तीनों को पुलिस द्वारा गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया था। वर्तमान में बैंक मैनेजर जमानत पर है। बैंक मैनेजर ने बताया की कार्यवाही के पश्चात् मुख्य आरोपी उग्रसेन के खाते में 11 लाख रू. है। लेकिन लोन खाते में उसे ट्रांसफर नहीं किया गया है यदि यह लोन खाते में ट्रांसफर हो जाता तो बुर्जुग आवेदिका की जमीन बंधनमुक्त हो जाती। आयोग के द्वारा आवेदिका को यह अधिकार दिया गया कि वह ब्रांच मैनेजर यूनियन बैंक में जाकर लिखित आवेदन प्रस्तुत करे कि आरोपी के सेविंग खाते से लोन खाते में आवश्यकतानुसार राशि हस्तांतरण किया जाये। आयोग के द्वारा रीजनल आफिसर को पत्र भी लिखा जायेगा ताकि बुर्जुग महिला की जमीन बंधनमुक्त कराये व आवेदिका की मदद करें।
एक प्रकरण में पहली सुनवाई में आयोग के समक्ष अनावेदक द्वारा आवेदिका को 5 लाख रू. एक मुश्त भरण-पोषण की राशि देना स्वीकार किया था। आज दिनांक की सुनवाई के दौरान अनावेदक ने अपनी पत्नि को आयोग के समक्ष 5 लाख रू. भरण-पोषण की राशिदिया साथ ही दोनो पक्षों को आयोग ने आपसी रजामंदी से तलाक लिये जाने की समझाईश दी।
एक अन्य प्रकरण के दौरान आवेदिका ने बताया कि उसका पति अपनी बुआ के भड़काने की वजह से उसे शारीरिक व मानसिक रूप से प्रताडित करता है और आवेदिका की तीनों बच्चों को भी उससे छीन लिया गया है। अनावेदिका (बुआ सास) के बर्ताव से यह प्रतीत होता है कि वह अपने भतीजे और बहू का घर बिगाड़ना चाहती है। आवेदिका ने बताया कि उसके बुआ सास के द्वारा लगातार गाव में विवाद किया जाता है जिसके चलते आवेदिका का पति जेल भी जा चुका है जो तीन दिन पहले ही रिहा हुआ है। आयोग के द्वारा पूछने पर अनावेदक (पति) ने इस बात को स्वीकारा। सभी पक्षों को सुनने के पश्चात् यह साबित होता है कि आवेदिका का दाम्पत्य जीवन उसकी बुआ सास की वजह से टूटने के कगार पर आ चुकी है। आयोग द्वारा अनावेदिका (बुआ सास) को सुधरने का मौका देकर माह के लिए नारी निकेतन भेजा गया।