
रायपुर. पं. जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज में नौकरी छोड़ चुके और ट्रांसफर वाले डॉक्टरों का स्टाफ क्वार्टरों पर कब्जा है. जबकि, नियमित डॉक्टर आवास के लिए चक्कर लगा रहे हैं. स्टाफ क्वार्टरों को संविदा डॉक्टरों को भी दिया गया है. इससे कई नियमित डॉक्टर नाराज हैं, जिन्हें आवास की जरूरत है.
हाल में नौकरी छोड़ चुके एक डॉक्टर ने कॉलेज प्रबंधन को पत्र लिखकर शहर में मकान नहीं मिलने का हवाला देते हुए आवास खाली नहीं कराने का अनुरोध किया है. कॉलेज में इस बात की चर्चा है कि आखिर डॉक्टर साहब को राजधानी में किराए पर मकान क्यों नहीं मिल रहा है? मेडिकल कॉलेज परिसर में 52 के आसपास ई व एफ टाइप के आवास हैं. ये 3 व 4 बीएचके हैं. 4 बीएचके में महासमुंद मेडिकल कॉलेज के अधीक्षक रहते हैं. जबकि उनका रायपुर के बाद जगदलपुर व वहां से महासमुंद ट्रांसफर हो गया है. इसके बाद भी वे आवास खाली नहीं कर रहे हैं. एक अन्य डॉक्टर भी दूसरे मेडिकल कॉलेज में सेवाएं दे रहे हैं. इसके बाद भी आवास खाली करने में कोताही बरत रहे हैं. कॉलेज प्रबंधन रस्मी तौर पर डॉक्टरों को नोटिस देकर कर्तव्य की इतिश्री कर देता है. स्टाफ का कहना है कि जो डॉक्टर बाहर नौकरी कर रहे हैं, उन पर कॉलेज प्रबंधन आवास किराया व पेनाल्टी लेकर चुप बैठ जाता है. जबकि उनके आवास खाली करने से दूसरे जरूरतमंद डॉक्टर को आवास मिल जाएगा, लेकिन ऐसा नहीं हो रहा है. एक प्रोफेसर को आवास आवंटन किया गया था, लेकिन वह बाहर से आती थीं. इसलिए प्रबंधन ने आवंटन रद्द कर दिया था. कॉलेज प्रबंधन का कहना है कि नियमानुसार डॉक्टरों को आवास का आवंटन किया गया है. जो बाहर सेवाएं दे रहे हैं, उनसे पेनाल्टी लिया जा रहा है.
कॉलेज प्रबंधन नॉन क्लीनिकल विभाग के डॉक्टरों को भी आवास दिया है. हालांकि उन्हें आवास लेने का अधिकार है. फिर भी जानकार कहते हैं कि आवास की सुविधा उन्हें दी जानी चाहिए, जो इमरजेंसी में मरीजों के इलाज के लिए तत्काल अस्पताल पहुंच सकें. अस्पताल व स्टाफ क्वार्टर वाकिंग डिस्टेंस पर है. जैसे न्यूरो सर्जन, ऑर्थोपीडिक सर्जन, जनरल सर्जन, मेडिसिन, कार्डियोलॉजी, कार्डियक सर्जन की जरूरत इमरजेंसी में पड़ती है. कई मौकों पर ये डॉक्टर इमरजेंसी में तत्काल पहुंचते भी रहे हैं.