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लता दीदी के जीवटता उनकी आवाज में देती है सुनाई : मुख्यमंत्री डॉ. यादव

भोपाल। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा है कि स्वर कोकिला भारत रत्न स्व. लता मंगेशकर का नाम एक अद्वितीय गायिका के रूप में देदीप्यमान है। उनके नाम से प्रदान किये जाने वाले सम्मान समारोह में आज पांच पीढ़ी बैठी नजर आ रही है। उन्होंने अपने जीवन में अनेक उतार-चढ़ाव और संघर्ष के बावजूद संगीत के क्षेत्र में ऐसी अद्वितीय पहचान बनाई जो पीढ़ियों तक अविस्मरणीय रहेगी। उनके जीवन के विविध पक्ष और जीवटता उनकी आवाज में सुनाई देती है।

मुख्यमंत्री डॉ. यादव शनिवार को इंदौर में राष्ट्रीय लता मंगेशकर सम्मान समारोह एवं संगीत संध्या को संबोधित कर रहे थे। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि लता दीदी ने कई पीढ़ी के गायकों के साथ सुमधुर गीत गाये। माँ सरस्वती को हमने न देखा और न सुना है, लेकिन लता दीदी की सुमधुर आवाज को सुन कर हमें साक्षात वीणा वादिनी का अहसास और स्पंदन होता है। उनकी जीवटता और उनके जीवन की यात्रा से हमें बहुत कुछ सीखने को मिलता है। उन्होंने स्वर साधना कर अनुपम ख्याति प्राप्त की। उनके गीतों ने आजादी के पहले और उसके बाद के कालखंड में अपनी विशिष्ट छाप जनमानस पर छोड़ी है। उन्होंने अपने सुमधुर गीतों की विविधता से अलग पहचान दिलाई और कलाकारों के हक के लिये भी लड़ाई लड़ी। लता दीदी ने पूरी दुनिया में भारत का सम्मान बढ़ाया। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी और स्वर कोकिला भारत रत्न लता मंगेशकर का भाई-बहन का रिश्ता था। लता दीदी के सम्मान में उनकी अंतिम यात्रा में वे स्वयं पहुंचे। उन्होंने कहा कि हॉउस ऑफ कॉमन में प्रस्तुति देकर भारत का गौरव लता दीदी और सुश्री के.एस. चित्रा ने बढ़ाया। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि राष्ट्रीय लता मंगेशकर सम्मान अलंकरण समारोह से सुप्रसिद्ध संगीतकार श्री उत्तम सिंह एवं पद्मश्री से सम्मानित पार्श्व गायिका सुश्री के.एस. चित्रा की स्वर साधना को यह सम्मान प्रदान करते हुए वे गौरवान्वित महसूस कर रहे हैं। उन्होंने कहा दोनों कलाकार संगीत के विश्वविद्यालय के रूप में है। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि लता मंगेशकर सम्मान समारोह प्रतिवर्ष आयोजित किया जाये।

मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने समारोह में वर्ष 2022 के लिए संगीत-निर्देशक श्री उत्तम सिंह और वर्ष 2023 के लिए पार्श्व गायिका सुश्री के.एस.चित्रा को राष्ट्रीय लता मंगेशकर सम्मान प्रदान किया। मुख्यमंत्री ने श्री सिंह एवं सुश्री चित्रा का शॉल-श्रीफल, प्रशस्ति-पत्र एवं 2 लाख रुपए सम्मान राशि का चेक भेंट कर सम्मानित किया।

राष्ट्रीय लता मंगेशकर सम्मान अलंकरण समारोह एवं संगीत संध्या का मुख्य आयोजन इंदौर स्थित लता मंगेशकर सभागृह में हुआ। समारोह में राज्य शासन के संस्कृति, पर्यटन एवं धार्मिक न्यास एवं धर्मस्व मंत्री श्री धर्मेन्द्र भाव सिंह लोधी ने कार्यक्रम की रूपरेखा प्रस्तुत की। समारोह में केन्द्रीय महिला सशक्तिकरण एवं बाल विकास राज्यमंत्री श्रीमती सावित्री ठाकुर, जल संसाधन मंत्री श्री तुलसीराम सिलावट, सांसद श्री शंकर लालवानी, महापौर श्री पुष्यमित्र भार्गव, विशेष अतिथि स्थानीय विधायकगण श्री रमेश मेंदोला, श्रीमती मालिनी गौड़, सुश्री उषा ठाकुर, श्री गोलू शुक्ला, श्री गौरव रणदिवे उपस्थित थे। कार्यक्रम में संभागायुक्त श्री दीपक सिंह, पुलिस कमिश्नर श्री राकेश गुप्ता, कलेक्टर श्री आशीष सिंह सहित बड़ी संख्या दर्शक उपस्थित हुए।

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संचालक संस्कृति श्री एन.पी. नामदेव ने श्री उत्तम सिंह एवं सुश्री के.एस.चित्रा को प्रदान किए गये सम्मान-पत्र का वाचन किया। सम्मान समारोह में पार्श्व गायिका सुश्री के.एस. चित्रा ने सुमधुर गीतों की प्रस्तुति दी।

पार्श्व गायिका सुश्री के.एस.चित्रा

प्रख्यात पार्श्व गायिका सुश्री के. एस. चित्रा भारतीय भाषाओं के फिल्मी पार्श्व गायन की विलक्षण प्रतिभावान कलाकार है। ‘दक्षिण भारत की स्वर कोकिला’ के नाम से पहचानी जाने वाली एक ऐसी पार्श्व गायिका हैं, जो दक्षिण भारतीय भाषाओं की फिल्म में पार्श्व गायन के साथ ही हिन्दी फिल्मों में भी समान अधिकार के साथ पार्श्व गायन करती है। पार्श्व गायन में आपकी दक्षता के कारण ही आपको छः बार राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार के अंतर्गत सर्वश्रेष्ठ पार्श्व गायिका का पुरस्कार प्राप्त हो चुका है।

शास्त्रीय एवं सुगम संगीत की प्रतिभा आपको विरासत में प्राप्त हुई है, दक्षिण भारत के केरल प्रांत के तिरुअनन्तपुरम शहर में 27 जुलाई, 1963 को आपका जन्म हुआ है। आपके पिता कृष्णनन नायर और माता शांता कुमारी भी संगीत अध्येता और संगीत शिक्षण से जुड़े थे। आपने तिरुअनन्तपुरम के कॉटन मिल गवर्नमेंट गर्ल्स हाई स्कूल से आरंभिक शिक्षा प्राप्त की है और केरल विश्वविद्यालय से संगीत में स्नातक की उपाधि प्रथम श्रेणी में प्राप्त की है। इस परीक्षा की प्रावीण्य सूची में आपने तीसरा स्थान प्राप्त किया था। आपने कर्नाटक शास्त्रीय संगीत की शिक्षा अपने गुरु प्रख्यात शास्त्रीय गायक डॉ. के ओम्मआन कुट्टी के सान्निध्य में प्राप्त की। वर्ष 1978 से वर्ष 1984 की अवधि में आपको भारत सरकार की राष्ट्रीय प्रतिभा खोज छात्रवृत्ति भी प्रदान की गई है।

सुश्री चित्रा की प्रतिभा को पहचाना सुविख्यात संगीतकार श्री एम.जी. राधाकृष्ण ने, जिन्होंने सुश्री चित्रा को मीरा और अट्टहासम जैसी ख्यात फिल्मों में पार्श्वगायन का अवसर प्रदान किया। आपने भारतीय भाषाओं की फिल्मों के प्रख्यात संगीतकारों इलैया राजा, ए.आर. रहमान और एम. विश्वनाथन के साथ कार्य किया है। आपने कई हिंदी फिल्मों और म्यूजिक एलबम जैसे पिया बसंती, उस्ताद, अंदाज, देवीप्रिया, कृष्णप्रिया, वास्तव, लव, विरासत, अशोका और रंगीला फिल्मों में पार्श्व गायन किया है।

भारतीय भाषाओं की फिल्मों के लिए पार्श्व गायन के क्षेत्र में आपका अतुलनीय योगदान रहा है। स्वर साम्राज्ञी भारतरत्न स्व. लता मंगेशकर जी के बाद आप दूसरी भारतीय पार्श्व गायिका है, जिन्होंने हाउस ऑफ कॉमन्स, लंदन में पार्श्व गायन किया है। आपने रॉयल अल्बर्ट हॉल, लंदन जैसे प्रतिष्ठित मंच से भी पार्श्व गायन किया है। वर्ष 2004 में चीन सरकार द्वारा आयोजित शंघाई अन्तरराष्ट्रीय जल और संगीत महोत्सव में भी आपको पार्श्व गायन के लिए आमंत्रित किया गया था।

आपको अपने सुदीर्घ गीत-संगीत यात्रा के लिए विभिन्न पुरस्कारों से भी सम्मानित किया गया है, जिसमें भारत सरकार द्वारा वर्ष 2005 में आपको पद्मश्री से और वर्ष 2021 में पद्मविभूषण से सम्मानित किया गया है।

मध्यप्रदेश शासन सुविख्यात पार्श्व गायिका सुश्री के. एस. चित्रा को दक्षिण एवं भारतीय सिनेमा में विगत पाँच दशकों से भी अधिक समय की निरन्तर सक्रियता, उत्कृष्ट स्वर साधना एवं अनेकानेक गीतों के गायन के माध्यम से श्रेष्ठ प्रतिमानों के अर्जन के लिए राष्ट्रीय लता मंगेशकर सम्मान वर्ष 2023-24 से सादर विभूषित करता है।

संगीत निर्देशक श्री उत्तम सिंह, मुम्बई

सुप्रतिष्ठित संगीत निर्देशक श्री उत्तम सिंह भारतीय फिल्म संगीत के क्षेत्र में एक कुशल और प्रतिभावान कलाकार हैं, जिन्होंने अपनी प्रतिभा के दम पर फिल्म संगीत के प्रतिस्पर्धी समाज में एक अलहदा मुकाम हासिल किया है। वर्ष 1948 में पंजाब में जन्में श्री उत्तम सिंह के पिता सितार वादक थे। वर्ष 1960 में जब आप बारह वर्ष के थे, तब आपका परिवार मुम्बई आ गया था । मुम्बई में ही आपने तबला वादन और वायोलिन सीखा। मुम्बई में आपका परिवार आजीविका के लिए विभिन्न गुरुद्वारों और धार्मिक समारोहों में कीर्तन गाता था। बचपन से ही आपकी रूचि संगीत के प्रति रही, जब आपको पिता ने वायोलिन उपहार में दिया, तब यह पता नहीं था कि यह वाद्ययंत्र आपके जीवन का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा बन जायेगा।

वर्ष 1965 में सत्रह वर्ष की आयु में आपने संगीत कैरियर की शुरूआत की, और जल्दी ही आपने स्वयं को एक कुशल संगीत संयोजक के रूप में स्थापित कर लिया। अपनी विलक्षण संगीत प्रतिभा के बल पर आपने पन्द्रह सौ से अधिक गीतों का संगीत तैयार किया है। आपने हिन्दी, मराठी, पंजाबी, गुजराती, बंगाली और भोजपुरी सहित अनेक भाषाओं के गीतों का संगीत संयोजन किया है। बॉलीवुड में तो आपके संगीत संयोजन में तैयार किये गये, कई गीतों से फिल्में सुपरहिट रहीं, जिनमें मैंने प्यार किया, हम आपके हैं कौन, प्रेम शक्ति, अनमोल और पत्थर के फूल शामिल हैं। वर्ष 1997 में आपके संगीत निर्देशन में रिलीज फिल्म ‘दिल तो पागल है’ के संगीत निर्देशन ने आपको लोकप्रिय बनाया। इस फिल्म के लिए आपको वर्ष 1997 में सर्वश्रेष्ठ संगीत निर्देशक का फिल्म फेयर पुरस्कार और वर्ष 1998 में सर्वश्रेष्ठ संगीत निर्देशन का जी सिने अवार्ड भी प्राप्त हुआ।

संगीत की दुनिया में आपके अमूल्य एवं श्रेष्ठ योगदान के लिए वर्ष 2016 में आपको ‘लता मंगेशकर लाईफ टाइम अचीवमेंट अवार्ड और इसी वर्ष एफ. एफ. एस. डी. वर्मन इन्टरनेशनल अवार्ड फॉर बेस्ट क्रियेटिव साउण्ड एण्ड म्यूजिकअवार्ड से भी सम्मानित किया जा चुका है। आप एक संगीत निर्देशक के साथ- साथ जाने-माने वायोलिन वादक भी है। आपने बॉलीवुड फिल्मों के लिए संगीत संयोजन के साथ-साथ प्रोग्रामर और साउण्ड रिकॉर्डिस्ट का काम भी किया है। स्वतंत्र रूप से खुद को संगीतकार स्थापित करने से पहले आपने कई तमिल फिल्मों में इलैया राजा के संगीत सहायक के रूप में भी काम किया है।

अपनी संगीत यात्रा के आरंभ में आपने तीन साल तक वायोलिन वादन किया। आपको पहला बड़ा ब्रेक मिला, वर्ष 1963 में जब प्रख्यात संगीतकार नौशाद के सहायक मोहम्मद सफी द्वारा बनाई गई एक डाक्यूमेंट्री में आपने वायोलिन वादन के रूप में काम किया। इसके बाद तो आपने नौशाद, रोशन, मदन मोहन, सी. रामचन्द्र और सचिन देव वर्मन सहित कई प्रमुख संगीतकारों के साथ वायोलिन वादन किया। बाद में आप संगीतकार राहुलदेव बर्मन के प्रमुख वायोलिन वादक बन गये। आपने संगीतकार जगदीश के साथ मिलकर संगीत- निर्देशन की जोड़ी भी बनाई, जिसने राजश्री प्रोडक्शन की कई हिट फिल्मों सहित पैसठ फिल्मों का संगीत निर्देशन किया।

वर्ष 2003 में देश के विभाजन पर बनी श्री चन्द्रप्रकाश द्विवेदी की फिल्म ‘पिंजर’ में भी सुप्रसिद्ध वडाली ब्रदर्स के साथ आपने मिलकर काम किया, जिसकी प्रशंसा पूरे भारत वर्ष में हुई। आपने वर्ष 1996 में अपना पहला म्यूजिक एलबम ‘ओम सांई राम’ रिलीज किया और वर्ष 2002 में अपनी बेटी प्रीति सिंह के एलबम ‘सूर’ का संगीत भी तैयार किया। सर्वश्रेष्ठ संगीतकार के रूप में आपको फिल्म फेयर अवार्ड, स्क्रीन अवार्ड, जी सिने अवार्ड, अप्सरा अवार्ड और आईफा अवार्ड प्राप्त हो चुके है।

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