
रायपुर। पूरे छत्तीसगढ़ में भीषण गर्मी का असर अब बिजली व्यवस्था पर साफ दिख रहा है। अप्रैल महीने में ही राज्य में बिजली की डिमांड 10 प्रतिशत बढ़कर 7,006 मेगावाट तक पहुंच गई है, जबकि बीते साल मई में अधिकतम डिमांड 6,368 मेगावाट थी।
डिमांड और जनरेशन के बीच बढ़ते अंतर से प्रदेश भर में बिजली गुल होने की शिकायतें भी तेज हो गई हैं। सेंट्रल कॉल सेंटर में अब तक 1 लाख 56 हजार से अधिक शिकायतें दर्ज की जा चुकी हैं।
महंगी दरों पर खरीदनी पड़ रही बिजली
छत्तीसगढ़ स्टेट पॉवर कंपनी किसानों, व्यवसायियों और आम उपभोक्ताओं को निर्बाध आपूर्ति बनाए रखने के लिए पावर एक्सचेंज और HDPAM (High Prices Day Ahead Market) के जरिए महंगे दरों पर बिजली खरीद रही है। इस समय बिजली खरीद की दर 14.50 रुपये प्रति यूनिट तक पहुंच गई है।
पावर मैनेजमेंट का तरीका
राज्य में दिन के समय औसत डिमांड 5,120 मेगावाट है, जो शाम 6 बजे से रात तक पीक लोड अवर में 6,500 से 7,000 मेगावाट तक बढ़ जाती है। अंतर को पूरा करने के लिए लगभग 800 मेगावाट अतिरिक्त बिजली बाहर से ली जा रही है। प्रतिदिन एक अलग टीम संभावित डिमांड के अनुसार बिजली खरीद का तालमेल कर रही है।
राज्य के पावर प्लांटों से हो रही आपूर्ति
छत्तीसगढ़ राज्य विद्युत उत्पादन कंपनी की क्षमता 2,978.7 मेगावाट है। सेंट्रल पूल से 3,380 मेगावाट और सोलर संयंत्रों से करीब 700 मेगावाट बिजली मिल रही है। दिन के समय अतिरिक्त बिजली होने पर छत्तीसगढ़ हिमाचल प्रदेश को 250 मेगावाट बैंकिंग के जरिए सप्लाई कर रहा है, जिसे जुलाई से लौटाया जाएगा। पंजाब और दिल्ली से भी रात में बिजली वापसी हो रही है।
इंफ्रास्ट्रक्चर में सुधार
बीते एक साल में राज्य में 56 नए 33/11 केवी उपकेंद्र बनाए गए हैं, 30 उपकेंद्रों में अतिरिक्त ट्रांसफॉर्मर जोड़े गए हैं, और 50 उपकेंद्रों की क्षमता बढ़ाई गई है। घरेलू आपूर्ति के लिए 15,198 नए 11/0.4 केवी ट्रांसफॉर्मर भी लगाए गए हैं। ट्रांसमिशन नेटवर्क भी बढ़ाया गया है, जिससे दिसंबर 2023 में 13,934 सर्किट किमी लंबी लाइनें अब 14,462 सर्किट किमी हो गई हैं।
सरकार का फोकस: निर्बाध आपूर्ति
राज्य सरकार और बिजली कंपनियां गर्मी के इस दौर में बिजली आपूर्ति बनाए रखने के लिए पूरी क्षमता से काम कर रही हैं।