
रायपुर। डीएमएफ घोटाले में परत दर परत अब नए-नए खुलासे हो रहे है. जांच रिपोर्ट में यह पाया गया है कि टेंडर की राशि का 40% सरकारी अफसर को कमीशन के रूप में इसके लिए दिया गया है। प्राइवेट कंपनियों के टेंडर पर 15 से 20% अलग-अलग कमीशन सरकारी अधिकारियों ने ली है। ED ने अपनी जांच रिपोर्ट में पाया था कि IAS अफसर रानू साहू और कुछ अन्य अधिकारियों ने अपने-अपने पद का गलत इस्तेमाल किया।
ED के तथ्यों के मुताबिक टेंडर करने वाले संजय शिंदे, अशोक कुमार अग्रवाल, मुकेश कुमार पाल, ऋषभ सोनी और बिचौलिए मनोज कुमार द्विवेदी, रवि शर्मा, पियूष सोनी, पियूष साहू, अब्दुल और शेखर नाम के लोगों के साथ मिलकर किसी चीज की असल कीमत से ज्यादा का बिल भुगतान कर दिया। आपस में मिलकर साजिश करते हुए पैसे कमाए गए। साथ ही खबर यह है कि यही लोग फिर से सक्रिय हो गए है और इनकी सक्रियता भी फिर नए कारनामें की ओर इशारा रह रही है. पुराने खेल की तरह नए खेल को करने की तैयारी चल रही है. जिससे बड़ा लाभ अर्जित कर सके. कुछ महकमों में अप्रोच करके टेंडर में खेल करने की मंशा भी सामने आ रही है.
सक्रियता से सरकारी अफसरों को पड़ सकती है भारी
जिन लोगों ने पुराने खेल को अंजाम दिया, उनके जांच में कई तथ्य ने तहलका मचा दिया है. हालांकि इस बार फिर से इनकी सक्रियता देखी जा रही है. अगर किसी भी प्रकार से पुराने खेल की तरह इस बार अंजाम देने का प्रयास किया गया तो निशिचत ही सरकारी अफसरों को भारी पड़ सकती है.
यह है डीएमएफ घोटाला
प्रदेश सरकार की ओर से जारी की गई जानकारी के मुताबिक ED की रिपोर्ट के आधार पर EOW ने धारा 120 बी 420 के तहत केस दर्ज किया है। इस केस में यह तथ्य निकल कर सामने आया है कि डिस्ट्रिक्ट माइनिंग फंड कोरबा के फंड से अलग-अलग टेंडर आवंटन में बड़े पैमाने पर आर्थिक अनियमितताएं की गईं है। टेंडर भरने वालों को अवैध लाभ पहुंचाया गया।