सक्ती. दिव्यांग युवती के साथ दुष्कर्म के मामले में आरोपी को आजीवन कारावास की सजा फास्ट ट्रैक कोर्ट सक्ती के विशेष न्यायाधीश यशवंत कुमार सारथी ने सुनाई है. साथ ही 1 हजार रुपए के अर्थदंड की सजा सुनाई गई.
अभियोजन के अनुसार पीड़िता बचपन से अपनी दादी के साथ रहती है. वह दिव्यांग है और शारीरिक, मानसिक रूप से निशक्त हैं. टूटी-फूटी शब्दों में थोड़ी-थोड़ी हकला कर बोलती एवं सुनती है. इसके इशारों को उसकी दादी समझती है. उसकी दादी प्राइमरी स्कूल में खाना बनाने का काम करती है. 23 सितंबर 2021 की सुबह 10 बजे पीड़िता की दादी खाना बनाने स्कूल चली गई थी. घर में अकेले पीड़िता थी. उसकी दादी जब स्कूल से दोपहर 2.30 बजे घर वापस आई तो पीड़िता ने रोते-रोते अपनी दादी को बताई कि गांव का आरोपी चैनू राम निराला करीब 12 बजे दिन में घर में जबरन घुसकर उसे जमीन में लिटाकर दुष्कर्म किया है. वह चीखी चिल्लाई, आस-पास में कोई नहीं थे. तब उसके दादी ने घटना के संबंध में अपने बेटे पीड़िता के पिता को तथा गांव के अन्य व्यक्तियों व पंच को बताई. पीड़िता को साथ में लेकर उसके दादी ने थाना में घटना की रिपोर्ट थाना में दर्ज कराई. पुलिस आरोपी के खिलाफ धारा 376, 452, 376 (2) 1 भारतीय दंड संहिता का अपराध पंजीबद्ध कर गिरफ्तार कर न्यायिक अभिरक्षा में लिया गया. विवेचना पश्चात अभियोग पत्र न्यायालय में प्रस्तुत किया गया. विशेष न्यायधीश द्वारा चैनूराम निराला पिता सुकालू राम को भारतीय दंड संहिता की धारा 376 की उप धारा (2) के अपराध के लिए आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई. साथ ही 1000 रुपए की अर्थदंड की सजा सुनाई गई.
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