
रायपुर. राजधानी रायपुर (Raipur) के माना SOS बाल गृह में नाबालिग से दुष्कर्म का मामला सामने आया था. इस मामले में अब विपक्ष लगातार सरकार पर हमला बोल रही है. इस मामले को लेकर अब BJP प्रदेश सह मीडिया प्रभारी अनुराग अग्रवाल ने राष्ट्रीय बाल सरंक्षण आयोग के अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो को लिखा पत्र लिखा है. इस पत्र के माध्यम से उन्होंने घटना के जिम्मेदारों पर कार्रवाई करने की मांग की है.
पत्र में कहा गया है कि, जून 2021 में माना SOS में नाबालिग बच्ची के साथ दुष्कर्म हुआ था. गर्भवती होने पर नवंबर 2021 में FIR दर्ज करवाई गई थी. लेकिन इस मामले को महिला एवं बाल विकास विभाग ने दबाकर रखा.
छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में स्थित एसओएस नामक गैर सरकारी संगठन में 14 -15 वर्ष की एक बालिका से दुष्कर्म हुआ है. दुष्कर्म की घटना मई 2021 के आसपास हुई और पुलिस में एफआईआर नवंबर 2021 में दर्ज कराई गई. इस दुष्कर्म की घटना को 5 माह तक उक्त संस्था, राज्य महिला एवं बाल विकास विभाग व बाल संरक्षण इकाई द्वारा दबाकर रखा गया. आरोपियों को बचाने की कोशिश हुई. बच्ची के बयान के आधार पर एक आरोपी को गिरफ्तार कर पुलिस ने मामले की फाइल बंद कर दी.
इधर पीड़िता बालिका ने बच्चे को जन्म दिया जिसकी मृत्यु हो जाती है. लेकिन डीएनए जांच से पता चलता है कि बच्चे के डीएनए और आरोपी के डीएनए नही मिलता. यह बताता है कि बालिका के साथ एक से अधिक लोगों ने दुष्कर्म किया. इस मामले पर राज्य की महिला एवं बाल विकास मंत्री जानकारी नही होने की बात करती है. इससे पूरे घटनाक्रम से मामले की लीपापोती और संदिग्ध कार्यप्रणाली उजागर होती है.
अनुराग अग्रवाल ने आरोप लगाया कि सरकार की कार्यप्रणाली कई सवालों को जन्म देती है. जैसे आरोपी का डीएनए और बच्चे का डीएनए मैच नहीं हो रहा. इसका अर्थ है यह सामूहिक दुष्कर्म का मामला है लेकिन पुलिस द्वारा इसे दुष्कर्म का मामला मानकर दबा दिया गया. दूसरा यह कि पॉक्सो एक्ट की धारा कहती है दुष्कर्म के मामले को दबाने वालों पर भी पॉक्सो एक्ट के तहत केस दर्ज होना चाहिए लेकिन एनजीओ और राज्य बाल विकास विभाग के अधिकारियों पर अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हुई. तीसरा पीड़िता को अभी तक उसी स्थान पर रखा गया है जहां पर उससे दुष्कर्म हुआ इसलिए उसपर दबावपूर्ण बयान दिलाए जा रहे है. इस तरह उक्त एनजीओ में में अभी अन्य बालिकाएं रह रही है उनकी सुरक्षा पर भी गंभीर प्रश्न उठते है.
अनुराग अग्रवाल के मुताबिक राज्य बालिका आयोग ने पूरे मामले पर चुप्पी साधी रखी है और एक के बाद एक संदिग्ध कार्यप्रणाली का परिचय दे रही है.