![रेप पीड़िता पर 8 एफआईआर, हाईकोर्ट ने कार्रवाई पर लगाई रोक 1 aamaadmi.in](https://i0.wp.com/www.aamaadmi.in/wp-content/uploads/2024/06/16-7.jpg?resize=780%2C470&ssl=1)
बिलासपुर. रेप पीडित महिला और उसके परिवार के खिलाफ दर्ज 8 एफआईआर पर किसी भी प्रकार की कार्रवाई पर हाईकोर्ट ने रोक लगा दी है. जिला कोर्ट में चल रहे सभी ट्रायल पर भी रोक लगा दी गई है. चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस सचिन सिंह राजपूत की डीबी ने राज्य सरकार को नोटिस जारी कर पूछा है कि आखिर राज्य में चल क्या रहा है? एक दलित महिला और उसके परिवार पर बार-बार बिना जांच के एफआईआर हो रही है. पुलिस और प्रशासन कुछ नहीं कर रहा है. कोर्ट ने महाधिवक्ता को इस मामले में जवाब देने कहा है.
झूठे केस में परिवार को जेल भिजवाया
पीड़िता का वर्ष 2018 में इंदौर में विवाह हुआ. शादी का पता चलने पर आरोपी ने कुहारी पुलिस थाने में धोखाधड़ी का झूठा केस दर्ज करा दिया और महिला के पिता, भाई और पति को गिरतार करवाकर जेल भिजवा दिया. याचिका के मुताबिक इसमें उसके मित्र अरविंद कुजूर (आईपीएस) ने पूरी मदद की और अपने प्रभाव का उपयोग किया.
लगातार एफआईआर, कोर्ट ने कहा- पूरा जीवन केस लड़ने में लग जाएगा
पीड़िता की ओर से पैरवी करते हुए एडवोकेट अमन सक्सेना ने कोर्ट को बताया कि इसी तरीके से पीड़िता और उसके परिवार पर फर्जी तरीके से 8 एफआईआर दर्ज कराए गए. एक केस में जब पीड़िता के परिजन को जमानत मिलती थी तो उससे पहले दूसरी एफआईआर दर्ज करा दी जाती. इससे महिला का परिवार लगातार जेल में रहा. कोर्ट ने कहा ऐेसे में तो परिवार का पूरा जीवन ही केस लड़ते हुए बीत जाएगा. पुलिस की ओर से कहा गया कि दो मामलों में क्लोजर रिपोर्ट सौंप दी गई है और मामला जल्द ही खत्म हो जाएगा. बाकी प्रकरणों पर जांच जारी है.
बिलासपुर जिले की रहने वाली विवाहित महिला ने सिटी कोतवाली में शिकायत दर्ज कराई थी कि वर्ष 2018 से 12 दिसंबर 2019 के बीच रायपुर के न्यू कालोनी टिकरापारा निवासी आरोपी ने खुद को अविवाहित और डीएसपी बताकर शादी करने का झांसा देकर उसके साथ दुष्कर्म किया. जब पीड़िता को पता चला कि आरोपी न तो डीएसपी है और न ही अविवाहित है तब उसने संबंध खत्म कर लिया और उसके खिलाफ दुष्कर्म के साथ ही एससीएसटी एक्ट के तहत मामला दर्ज करा दिया.
आरोपी को मिला है आजीवन कारावास
याचिका में बताया गया कि आरोपी को कोर्ट ने आजीवन कारावास की सजा से दंडित किया है. विशेष न्यायाधीश (एट्रोसिटी) के कोर्ट ने एससी-एसटी अत्याचार निवारण अधिनियम में आजीवन कारावास के साथ एक हजार रुपए अर्थदंड, धारा 376 (2) (के) और 376 (2)(एन) में दस-दस वर्ष कठोर कारावास, एक-एक हजार रुपये अर्थदंड, धारा 342 में छह माह, पांच सौ रुपये अर्थदंड, धारा 506 (2) में एक वर्ष कठोर कारावास और पांच सौ रुपये अर्थदंड से दंडित करने का फैसला सुनाया है.