
Toxic Waste mp: 2-3 दिसंबर 1984 की रात भोपाल में यूनियन कार्बाइड फैक्ट्री से जहरीली गैस का रिसाव हुआ, जिसे इतिहास की सबसे खतरनाक औद्योगिक आपदाओं में गिना जाता है। इस हादसे में हजारों लोग मारे गए और लाखों की जिंदगी प्रभावित हुई। फैक्ट्री में बचा हुआ जहरीला कचरा अब भी एक बड़ी समस्या है।
पीथमपुर में जहरीले कचरे का विरोध (Toxic Waste mp)
भोपाल से करीब 337 मीट्रिक टन जहरीला कचरा पीथमपुर लाकर जलाने की योजना बनाई गई। लेकिन पीथमपुर के लोग इसका कड़ा विरोध कर रहे हैं। शुक्रवार को विरोध प्रदर्शन के दौरान दो युवकों ने खुद पर आग लगा ली।
सरकार का रुख
मुख्यमंत्री मोहन यादव ने कहा है कि फिलहाल पीथमपुर में कचरा नहीं जलाया जाएगा। यह निर्णय जनता की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए लिया गया है और इसे अदालत में भी रखा जाएगा। हालांकि पहले मुख्यमंत्री ने कहा था कि इससे पर्यावरण को कोई नुकसान नहीं होगा।
पीथमपुर में विरोध प्रदर्शन
पीथमपुर बचाओ समिति ने शुक्रवार को बंद बुलाया, जिसमें बड़ी संख्या में लोगों ने भाग लिया। दुकानों और फैक्ट्रियों को बंद रखा गया। लोगों का कहना है कि यह कचरा खतरनाक नहीं है तो इसे भोपाल में ही क्यों नहीं निपटाया गया।
कानूनी और प्रशासनिक कार्रवाई
इस मामले में पुलिस ने 5 एफआईआर दर्ज की हैं।
सुरक्षा बनाए रखने के लिए भारी पुलिस बल तैनात किया गया है।
उच्च न्यायालय ने 3 दिसंबर को 4 सप्ताह में कचरा निपटाने का आदेश दिया था।
पीथमपुर की स्थिति
पीथमपुर, इंदौर के पास स्थित एक औद्योगिक शहर है, जहां करीब 1.75 लाख लोग और 700 फैक्ट्रियां हैं। यहां के लोग लंबे समय से जहरीले कचरे के निपटान का विरोध कर रहे हैं।