Delhi News: दिल्ली विधानसभा चुनाव नजदीक आते ही अरविंद केजरीवाल एक बार फिर से बड़े-बड़े वादों के साथ जनता को लुभाने की कोशिश कर रहे हैं। ताजा वादा है दिल्ली में 24 घंटे साफ पानी देने का। यह घोषणा पहली नजर में भले ही आकर्षक लगे, लेकिन सवाल यह है कि क्या इस वादे को पूरा करना संभव है, या यह भी केवल चुनावी चारा है?
वादों की लंबी फेहरिस्त, लेकिन जमीन पर कितनी हकीकत?
केजरीवाल सरकार ने पहले भी कई योजनाओं का वादा किया था, जैसे महिला सम्मान योजना, संजीवनी योजना, ऑटो चालकों के लिए गारंटी और स्कॉलरशिप। लेकिन इन योजनाओं के क्रियान्वयन पर सवाल उठते रहे हैं।
- महिला सम्मान योजना:
इस योजना के तहत महिलाओं को हर महीने 2100 रुपये देने का वादा किया गया है। लेकिन यह योजना कब पूरी तरह लागू होगी, इसकी कोई ठोस जानकारी नहीं है। - संजीवनी योजना:
बुजुर्गों के इलाज के लिए मुफ्त सुविधा का वादा अच्छा है, लेकिन दिल्ली के सरकारी अस्पतालों की हालत किसी से छिपी नहीं है। वहां पहले से ही बुनियादी सुविधाओं की कमी है। ऐसे में निजी अस्पतालों में मुफ्त इलाज का दावा कितना सटीक है, यह एक बड़ा सवाल है। - ऑटो चालकों के लिए गारंटी:
ऑटो चालकों के लिए 10 लाख रुपये के जीवन बीमा और 5 लाख के एक्सीडेंट बीमा की गारंटी दी गई। लेकिन इसका वास्तविक लाभ कितने चालकों को मिला, यह अब तक साफ नहीं हो पाया है।
24 घंटे साफ पानी: सपना या सच्चाई?
केजरीवाल ने कहा है कि दिल्ली में 24 घंटे साफ पानी उपलब्ध कराया जाएगा। लेकिन दिल्ली जल बोर्ड की वर्तमान स्थिति और पानी की गुणवत्ता को देखते हुए यह वादा भी सिर्फ एक सपना ही लगता है।
- पानी की गुणवत्ता:
क्या केवल एक कॉलोनी में पानी की गुणवत्ता जांचकर पूरी दिल्ली को भरोसा दिलाया जा सकता है? यह सिर्फ एक प्रचार का हिस्सा लगता है। - अमोनिया और ट्यूबवेल का वादा:
ढाई हजार ट्यूबवेल लगाने की योजना पर भी सवाल उठते हैं। क्या यह पर्यावरण को नुकसान पहुंचाए बिना संभव है?
आर्थिक भार का सवाल
इतने बड़े-बड़े वादे करने के लिए सरकार के पास पर्याप्त वित्तीय संसाधन कहां से आएंगे? दिल्ली की जनता के टैक्स का पैसा क्या केवल चुनावी वादों को पूरा करने के लिए इस्तेमाल होगा?
अरविंद केजरीवाल के वादे सुनने में भले ही अच्छे लगते हों, लेकिन उनके पीछे की सच्चाई और व्यावहारिकता पर सवाल खड़े होते हैं। जनता को चाहिए कि वह इन वादों की वास्तविकता को समझे और केवल भावनाओं में बहकर वोट न करे।