Delhi News: दिल्ली विधानसभा चुनाव की तैयारियां जोर-शोर से चल रही हैं, और एक बार फिर आम आदमी पार्टी (आप) के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल ने अपनी चुनावी घोषणाओं का सिलसिला शुरू कर दिया है। हाल ही में उन्होंने दलित छात्रों के लिए “डॉ. आंबेडकर सम्मान स्कॉलरशिप योजना” की घोषणा की। केजरीवाल का यह कदम चुनावी प्रचार का एक और उदाहरण है, जहां वह लोकलुभावन योजनाओं के जरिए वोट बैंक की राजनीति कर रहे हैं।
यह स्कॉलरशिप योजना जो कि दलित छात्रों के लिए विदेश में उच्च शिक्षा प्राप्त करने के उद्देश्य से लाई गई है, एक और राजनीतिक चाल के रूप में सामने आती है। केजरीवाल ने इस योजना का एलान करते हुए दावा किया कि दलित समाज के बच्चे पैसे की कमी के कारण उच्च शिक्षा से वंचित नहीं रहेंगे। हालांकि, सवाल यह है कि क्या यह घोषणाएं वास्तविक सुधारों के बजाय केवल चुनावी स्टंट हैं?
इससे पहले भी आम आदमी पार्टी ने कई ऐसी योजनाओं की घोषणा की है जो जनता को लुभाने के लिए बनाई गई हैं। उदाहरण के लिए, बुजुर्गों के लिए “संजीवनी योजना” और ऑटो चालकों को दी जाने वाली पांच बड़ी गारंटियां, जिनमें जीवन बीमा, एक्सीडेंट इंश्योरेंस, और वर्दी के लिए राशि आदि शामिल हैं। वहीं महिलाओं के लिए “महिला सम्मान योजना” के तहत हर महिला को 1000 रुपये देने का वादा किया गया है, जिसे बाद में बढ़ाकर 2100 रुपये करने की बात की गई है।
इन घोषणाओं का एक सामान्य पैटर्न दिखता है—लोकलुभावन योजनाएं जो केवल चुनावी समय में प्रकट होती हैं। सवाल यह उठता है कि इन योजनाओं के द्वारा सरकार कौन से वास्तविक परिवर्तन लाने की योजना बना रही है? क्या यह योजनाएं सिर्फ वोटों के लिए हैं, या इनमें कोई ठोस दीर्घकालिक रणनीति छुपी हुई है?
“डॉ. आंबेडकर सम्मान स्कॉलरशिप” के एलान के साथ भाजपा पर किया गया तंज भी केजरीवाल की चुनावी चाल का हिस्सा प्रतीत होता है। क्या यह सच में बाबा साहेब के प्रति उनका सम्मान है, या केवल एक राजनीतिक हथकंडा? अपने ट्विटर अकाउंट पर इस योजना के प्रचार के साथ किए गए हमले यह दिखाते हैं कि केजरीवाल की राजनीति में अक्सर शाब्दिक हमले और झूठे वादों का मिश्रण होता है।
आप की इन घोषणाओं के पीछे छुपे चुनावी उद्देश्य को समझना मुश्किल नहीं है। जब तक दिल्ली सरकार इन योजनाओं को जमीन पर लागू नहीं करती, तब तक यह सभी केवल प्रचार की सामग्री बनकर रह जाती हैं। क्या इन योजनाओं को लागू करने के लिए पर्याप्त बजट और प्रशासनिक संरचना है, यह भी एक बड़ा सवाल है। क्या केजरीवाल और उनकी पार्टी असल में दिल्ली के लोगों के हित में काम कर रही हैं, या यह केवल चुनावी प्रचार का हिस्सा है?
अंत में, आम आदमी पार्टी की यह घोषणाएं एक बार फिर साबित करती हैं कि अरविंद केजरीवाल और उनकी पार्टी राजनीति के सबसे पुराने तरीके—वोट बैंक की राजनीति—को अपनाते हुए जनता को सिर्फ सपने दिखाने का काम कर रहे हैं, न कि असल में उनके जीवन में कोई बदलाव लाने का।