
Delhi Assembly Election 2025: नई दिल्ली विधानसभा सीट पर अरविंद केजरीवाल की चौथी बार उम्मीदवारी को लेकर चर्चा गर्म है। लेकिन यह सवाल भी उठ रहा है कि क्या इस बार उनके नेतृत्व में आम आदमी पार्टी (AAP) को उसी तरह का जनसमर्थन मिलेगा, जैसा उन्होंने पिछली बार देखा था।
AAP के कार्यकाल पर लगे सवाल
केजरीवाल सरकार के कार्यकाल में दिल्ली के कई बुनियादी मुद्दे अनसुलझे रह गए हैं। शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में किए गए वादों को लेकर आलोचना बढ़ी है। सरकारी स्कूलों की स्थिति में सुधार की बात कही गई थी, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और है। वहीं, मोहल्ला क्लीनिक के मॉडल पर भी सवाल उठ रहे हैं। क्या ये सिर्फ एक प्रचार रणनीति थी?
नई दिल्ली सीट पर प्रदर्शन में गिरावट
नई दिल्ली सीट से तीन बार विधायक बने अरविंद केजरीवाल ने यहां से मुख्यमंत्री बनने की परंपरा कायम रखी, लेकिन क्या जनता अब भी उन्हें उसी उत्साह से समर्थन देगी? उनके पिछले कार्यकाल में इस सीट के कई स्थानीय मुद्दों को नजरअंदाज किया गया। जलभराव, प्रदूषण, और ट्रैफिक जैसी समस्याएं आज भी जस की तस बनी हुई हैं।
आम आदमी पार्टी की गिरती साख
AAP ने दिल्ली में बड़े-बड़े वादे करके सत्ता हासिल की थी, लेकिन अब उनकी साख गिरती नजर आ रही है। केजरीवाल सरकार पर भ्रष्टाचार और पारदर्शिता की कमी के आरोप लग चुके हैं। हाल ही में कई विधायकों के खिलाफ भ्रष्टाचार के मामले सामने आए, जो पार्टी की “ईमानदारी” की छवि पर सवाल खड़े करते हैं।
नई दिल्ली सीट पर बीजेपी की तैयारी
इस बार बीजेपी ने नई दिल्ली सीट को लेकर खास रणनीति तैयार की है। पार्टी से जुड़े सूत्रों के अनुसार, दो बार सांसद रहे प्रवेश वर्मा जैसे मजबूत उम्मीदवार मैदान में उतर सकते हैं। यह देखना दिलचस्प होगा कि बीजेपी केजरीवाल के सामने कितनी बड़ी चुनौती पेश करती है।
दिल्ली की जनता बदलाव के मूड में?
दिल्ली की राजनीति में लंबे समय तक एकछत्र राज करने के बाद कांग्रेस का पतन और AAP का उदय हुआ। लेकिन अब लगता है कि AAP भी अपने अंतर्मुखी दौर में प्रवेश कर चुकी है। जनता केजरीवाल सरकार की कार्यप्रणाली और वादाखिलाफी से निराश है।
क्या AAP के लिए यह आखिरी चुनाव साबित होगा?
नई दिल्ली सीट पर हार का मतलब केजरीवाल की राजनीति को बड़ा झटका हो सकता है। इस सीट को दिल्ली की सत्ता का दरवाजा माना जाता है, और अगर AAP यहां कमजोर पड़ती है, तो इसका असर पूरे राज्य पर पड़ेगा।
क्या अरविंद केजरीवाल इस बार जनता का विश्वास जीत पाएंगे, या उनकी राजनीति का पतन शुरू हो चुका है? इसका जवाब तो चुनावी नतीजे ही देंगे, लेकिन फिलहाल AAP के लिए परिस्थितियां अनुकूल नहीं लग रही हैं।