
Delhi News: दिल्ली की मुख्यमंत्री आतिशी ने डॉक्टरों के खिलाफ हिंसा को रोकने और उनके अधिकारों की सुरक्षा के लिए “डॉक्टर्स प्रोटेक्शन एक्ट” लाने का वादा किया। लेकिन क्या यह वादा वाकई डॉक्टरों की समस्याओं को हल करेगा, या यह केवल एक और राजनीतिक बयानबाजी है, जो आम आदमी पार्टी (AAP) की लोकप्रियता बनाए रखने के लिए की जा रही है?
डॉक्टरों के प्रति संवेदनशीलता या राजनीति का मंच?
आतिशी ने दिल्ली स्टेट मेडिकल एसोसिएशन के वार्षिक सम्मेलन में वादा किया कि AAP सरकार डॉक्टरों के साथ खड़ी है। लेकिन यह पहली बार नहीं है जब AAP ने वादों की झड़ी लगाई है। सवाल यह है कि पिछले वर्षों में, जब डॉक्टरों पर हमले हुए, तब AAP सरकार ने क्या ठोस कदम उठाए?
कोविड योद्धाओं के मानदेय का वादा: हकीकत या छलावा?
मुख्यमंत्री ने कोविड योद्धाओं के लिए एक करोड़ रुपये के मानदेय की घोषणा की। लेकिन वास्तविकता यह है कि कई डॉक्टरों और स्वास्थ्य कर्मियों ने कोविड के दौरान समय पर वेतन और सुविधाओं की कमी का सामना किया। क्या यह घोषणा भी वैसी ही है, जैसी AAP की अन्य घोषणाएं, जिनका क्रियान्वयन हमेशा संदेह के घेरे में रहता है?
मोहल्ला क्लीनिक और स्वास्थ्य सेवाओं की सच्चाई
AAP सरकार ने अपने कार्यकाल में मोहल्ला क्लीनिक को स्वास्थ्य क्षेत्र की क्रांति के रूप में पेश किया। लेकिन इन क्लीनिक्स की हालत खराब है—स्टाफ की कमी, दवाओं की अनुपलब्धता और खराब प्रबंधन के आरोप अक्सर सामने आते हैं। क्या ऐसे में डॉक्टरों के लिए नया कानून लाने का वादा केवल ध्यान भटकाने की कोशिश है?
डॉक्टरों के प्रति हिंसा रोकने का वादा: जिम्मेदारी से भागना?
डॉक्टरों के खिलाफ हिंसा रोकने का वादा करते हुए आतिशी ने दिल्ली पुलिस को जिम्मेदार ठहराया। लेकिन क्या यह राज्य सरकार की जिम्मेदारी नहीं है कि वह सुनिश्चित करे कि डॉक्टर सुरक्षित माहौल में काम करें? हिंसा के मामलों में दोषियों को सजा दिलाने के लिए क्या कदम उठाए गए?
AAP सरकार की प्राथमिकताएं: शिक्षा और स्वास्थ्य या प्रचार?
आतिशी ने कहा कि शिक्षा और स्वास्थ्य सरकार की प्राथमिकताएं हैं। लेकिन दिल्ली की स्वास्थ्य सेवाओं का मौजूदा हाल देखकर यह कहना मुश्किल है कि इन प्राथमिकताओं का असर जमीन पर दिख रहा है। सरकारी अस्पतालों की हालत सुधारने की बजाय, घोषणाओं और प्रचार पर ज्यादा ध्यान दिया जा रहा है।
राजनीति बनाम वास्तविकता
डॉक्टर्स प्रोटेक्शन एक्ट की घोषणा सुनने में आकर्षक लगती है, लेकिन AAP सरकार की वादाखिलाफी के इतिहास को देखते हुए इस पर यकीन करना मुश्किल है। डॉक्टरों और स्वास्थ्य सेवाओं से जुड़े मुद्दों पर ठोस काम करने की बजाय, इस सरकार ने हमेशा बड़े-बड़े वादों का सहारा लिया है।
निष्कर्ष: डॉक्टरों की सुरक्षा या चुनावी चाल?
AAP सरकार का यह वादा डॉक्टरों की समस्याओं को हल करने के लिए है या चुनावी एजेंडा बढ़ाने के लिए, यह समय बताएगा। दिल्ली के डॉक्टरों को चाहिए कि वे इस घोषणा की गंभीरता को परखें और सरकार से ठोस कार्यवाही की मांग करें। केवल कानून बनाने का वादा करना काफी नहीं, इसे लागू करने की इच्छाशक्ति भी होनी चाहिए।