नई दिल्ली: Sharda Sinha Death: लोक गायिका शारदा सिन्हा, जिन्हें बिहार कोकिला के नाम से जाना जाता है, का 72 वर्ष की उम्र में मंगलवार रात 9:20 बजे दिल्ली के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में निधन हो गया। शारदा सिन्हा पिछले छह वर्षों से ब्लड कैंसर से जूझ रही थीं और हालात बिगड़ने पर उन्हें 26 अक्टूबर को एम्स के कैंसर सेंटर में भर्ती किया गया था।
हालांकि, शुरुआत में उनकी हालत में सुधार हुआ था, लेकिन सोमवार रात उनकी तबीयत फिर बिगड़ गई और उन्हें फिर से आईसीयू में वेंटिलेटर सपोर्ट पर रखा गया। एम्स ने बयान जारी कर बताया कि शारदा सिन्हा का निधन “रेफ्रेक्टरी शॉक और सेप्टिसीमिया” के कारण हुआ। उनका पार्थिव शरीर बुधवार को विमान से पटना भेजा जाएगा, जहां उनका अंतिम संस्कार होगा।
शारदा सिन्हा के योगदान और विरासत
शारदा सिन्हा का गायन केवल बिहार, झारखंड और उत्तर प्रदेश के लोगों तक सीमित नहीं था, बल्कि उन्होंने अपनी आवाज से भारतीय लोक संगीत को पूरी दुनिया में पहचान दिलाई। खासतौर पर उनके गाए छठ गीत बेहद प्रसिद्ध हैं, जिनमें “उग हो सुरुज देव” और “दुखवा मिटाईं छठी मईया” शामिल हैं। उनका संगीत आज भी बिहार में छठ महापर्व के दौरान घर-घर में बजता है, और उनके गीतों के बिना यह पर्व अधूरा सा लगता है।
शारदा सिन्हा की आवाज़ ने भोजपुरी और मैथिली लोक संगीत को एक नई ऊंचाई दी। उन्हें भारत सरकार द्वारा पद्मभूषण से सम्मानित किया गया था और उन्हें सांस्कृतिक राजदूत के रूप में भी जाना जाता था। बीते दिनों ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लोकगायिका के स्वास्थ्य के बारे में जानकारी ली थी, भाजपा सांसद मनोज तिवारी ने कहा कि शारदा सिन्हा का निधन भोजपुरी जगत और देश के लिए अपूरणीय क्षति है।