उत्तराखंड के सुरम्य थानों में बसा “लेखक गांव” अब साहित्यिक प्रेमियों और विचारकों का केंद्र बन गया है। यहां आयोजित तीन दिवसीय स्पर्श हिमालय महोत्सव का भव्य आगाज हुआ, जिसमें पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और राज्यपाल गुरमीत सिंह ने विशेष रूप से हिस्सा लिया। शुभारंभ के मौके पर पारंपरिक छोलिया नृत्य की रंग-बिरंगी प्रस्तुति ने कार्यक्रम को एक सांस्कृतिक महोत्सव का रूप दे दिया।
देश-विदेश के साहित्यकारों और विचारकों का महाकुंभ
स्पर्श हिमालय महोत्सव एक वैश्विक संगम है, जहां देश और विदेश के प्रतिष्ठित लेखक, विचारक और पत्रकार अपने-अपने विचारों का आदान-प्रदान करने आए हैं। यहां प्रसून जोशी, अवधेशानंद, माला राज्य लक्ष्मी शाह और बृजभूषण गैरोला जैसी जानी-मानी हस्तियां भी मौजूद हैं। लेखक गांव के संरक्षक डॉ. रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ ने इसे पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के साहित्य और लेखक समुदाय के प्रति विशेष सम्मान की भावना से प्रेरित बताया। निशंक ने कहा कि यह अटल जी का सपना था कि साहित्यकारों को उचित मंच और सम्मान मिले, और लेखक गांव उसी सपने को साकार करने की दिशा में एक अहम कदम है।
लेखक गांव: साहित्यिक धरोहर का धाम
लेखक गांव न केवल साहित्यिक विचारों का केंद्र है, बल्कि एक समृद्ध पुस्तकालय का भी निर्माण कर रहा है, जहां एक लाख से अधिक पुस्तकें होंगी। यहां रचनात्मकता, शोध और साहित्यिक अनुसंधान का संगम होगा। गांव में लेखकों के लिए विशेष कुटिया, अतिथि गृह, हिमालयन संजीवनी भोजनालय, और ऑडिटोरियम बनाए गए हैं, जो एक आदर्श साहित्यिक आश्रम का अनुभव देते हैं। हरियाली, पर्वतीय शांति, और स्वच्छ वातावरण के साथ यह गांव एक उत्कृष्ट साहित्यिक स्थल बन चुका है।
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के साथ देहरादून में आयोजित स्पर्श हिमालय महोत्सव-2024 में भाग लिया। #cmdhami #Uttrakhand @pushkardhami @ramnathkovind #BreakingNews pic.twitter.com/PiKD1paCvb
— Aam Aadmi Patrika (@AamAadmiPatrika) October 25, 2024
साहित्यिक दुनिया में वैश्विक पहुंच
इस महोत्सव में 65 से अधिक देशों के लेखक और विचारक किसी न किसी रूप में भाग ले रहे हैं, जबकि 40 से ज्यादा देशों के लोग कार्यक्रम में व्यक्तिगत रूप से शामिल हो रहे हैं। निशंक का मानना है कि लेखक गांव न केवल भारत बल्कि विश्व स्तर पर साहित्यकारों के विचारों को जोड़ने का एक अनूठा प्रयास है। यह पहल विभिन्न भाषाओं, संस्कृतियों और विचारधाराओं के संगम को बढ़ावा देगी, जिससे साहित्यिक दुनिया में नए आयाम खुलेंगे।