SC on Bulldozer Action: सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा कि जनता की सुरक्षा किसी भी धार्मिक ढांचे से अधिक महत्वपूर्ण है, चाहे वह सड़क, जल स्रोत या रेलवे ट्रैक पर क्यों न बना हो। इस फैसले में कोर्ट ने भारत की धर्मनिरपेक्षता को मजबूती से कायम रखा और कहा कि बुलडोजर कार्रवाई या अतिक्रमण विरोधी अभियानों के नियम सभी नागरिकों पर समान रूप से लागू होंगे, चाहे उनकी धार्मिक आस्था कुछ भी हो।
अदालत की टिप्पणी का संदर्भ
यह टिप्पणी न्यायमूर्ति बीआर गवई और न्यायमूर्ति केवी की दो सदस्यीय पीठ ने की, जब वे बुलडोजर कार्रवाई के खिलाफ दायर याचिकाओं पर सुनवाई कर रहे थे। न्यायमूर्ति गवई ने स्पष्ट रूप से कहा, “चाहे वह मंदिर हो या दरगाह, उसे हटाना जरूरी है क्योंकि जनता की सुरक्षा सर्वोपरि है।”
उत्तर प्रदेश, गुजरात और मध्य प्रदेश का पक्ष
सुनवाई के दौरान, सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने स्पष्ट किया कि कोई भी व्यक्ति, चाहे वह कितना भी गंभीर अपराधी क्यों न हो, जैसे बलात्कार या आतंकवाद के आरोपी, उनके खिलाफ बुलडोजर कार्रवाई को सिर्फ उस अपराध के आधार पर सही नहीं ठहराया जा सकता।
सुप्रीम कोर्ट के निर्देश
SC on Bulldozer Action: सुप्रीम कोर्ट ने यह भी निर्देश दिया कि देश में बिना अदालत की अनुमति के किसी भी संपत्ति को ध्वस्त नहीं किया जाना चाहिए। हालांकि, यह आदेश उन मामलों पर लागू नहीं होगा जहां सार्वजनिक सड़कों, रेलवे पटरियों, या जल निकायों पर अतिक्रमण किया गया हो। कोर्ट ने राज्यों को 1 अक्टूबर तक किसी भी बिना अनुमति वाले ध्वस्तीकरण पर रोक लगाने का आदेश दिया, जब तक कि वह सार्वजनिक जगहों से अतिक्रमण हटाने के लिए न हो। कोर्ट ने आगे कहा कि वह जल्द ही इस पर विस्तृत निर्देश तैयार करेगा कि कब और कैसे संपत्तियों को हटाया जा सकता है।
इस फैसले ने साफ कर दिया है कि सार्वजनिक सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जाएगी और सभी कानून नागरिकों पर समान रूप से लागू होंगे।