नई दिल्ली: भारत ने संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ के भाषण के बाद कड़ा विरोध दर्ज कराया है। पाकिस्तान द्वारा जम्मू-कश्मीर का मुद्दा उठाए जाने और अनुच्छेद 370 को बहाल करने की मांग पर भारत ने कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि पाकिस्तान लंबे समय से सीमा पार आतंकवाद का समर्थन कर रहा है और इसके परिणाम उसे भुगतने होंगे।
संयुक्त राष्ट्र में भारत की प्रथम सचिव भाविका मंगलनंदन ने पाकिस्तान पर वैश्विक आतंकवाद में शामिल होने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान का आतंकवादियों का समर्थन करने का एक पुराना रिकॉर्ड है, और उसका यह रवैया अंतरराष्ट्रीय शांति के लिए खतरा है। ये प्रतिक्रिया शहबाज शरीफ द्वारा जम्मू-कश्मीर के विशेष दर्जे की बहाली की मांग के जवाब में आई है, जिसे भारत ने स्पष्ट रूप से खारिज कर दिया है।
मंगलनंदन ने कहा कि UNGA में आज एक गंभीर घटना हुई जब आतंकवाद, ड्रग्स और अंतरराष्ट्रीय अपराधों के लिए कुख्यात सेना-प्रशासित देश (पाकिस्तान) ने विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र, भारत, पर आरोप लगाने का साहस किया। उन्होंने इसे दुस्साहसिक करार देते हुए पाकिस्तान के आतंकवाद से जुड़े अतीत को उजागर किया, जिसमें 2001 में भारतीय संसद और 2008 के मुंबई हमलों का जिक्र किया गया।
यह पहली बार नहीं है जब भारत ने यूएन में पाकिस्तान को आतंकवाद के मुद्दे पर घेरा है। कुछ वर्षों पहले, भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने भी पाकिस्तान पर आतंकवादी संगठनों को समर्थन देने का आरोप लगाया था। उन्होंने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद जैसे आतंकी संगठनों के बेखौफ होकर काम करने का उल्लेख करते हुए पाकिस्तान की भूमिका की निंदा की थी।
जयशंकर ने तब यह भी कहा था कि अफगानिस्तान में बढ़ते खतरे और आईएसआईएल-खोरासन जैसे आतंकी संगठनों के बढ़ते प्रभाव ने क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा को गंभीर रूप से प्रभावित किया है।