दंतेवाड़ा: दंतेवाड़ा के जंगलों में एनएमडीसी द्वारा किए जा रहे खनन और पेड़ों की कटाई को लेकर कई सवाल उठ रहे हैं। आयरन ओर के खनन के बदले मिलने वाली रॉयल्टी को लेकर वन विभाग और एनएमडीसी के बीच एक संशय का घेरा बना हुआ है। एनएमडीसी खुद ही करोड़ों रुपए की रॉयल्टी वसूल रहा है और वन विभाग इस पर मौन साधे हुए है।
रॉयल्टी का बंटवारा: एक रहस्य
दंतेवाड़ा के जंगलों से प्रतिदिन बड़ी मात्रा में आयरन ओर का परिवहन किया जाता है। नियम के अनुसार, इस आयरन ओर की रॉयल्टी वन विभाग को देनी चाहिए। लेकिन, वन विभाग ने यह जिम्मा एनएमडीसी प्रबंधन को सौंप दिया है। एनएमडीसी द्वारा दी गई जानकारी के आधार पर ही वन विभाग रॉयल्टी की गणना करता है। इस पूरी प्रक्रिया में पारदर्शिता की कमी है।
वजन और परिवहन: एक अज्ञात राशि
एनएमडीसी द्वारा प्रतिदिन कितना आयरन ओर निकाला जाता है, इसकी सटीक जानकारी वन विभाग के पास नहीं है। एनएमडीसी द्वारा दी गई जानकारी को ही आधार माना जाता है। आयरन ओर के वजन को लेकर भी कोई ठोस व्यवस्था नहीं है। जिसके कारण यह जानना मुश्किल है कि वास्तव में कितना आयरन ओर निकाला जा रहा है और उस पर कितनी रॉयल्टी वसूली जा रही है।
एनएमडीसी का वर्चस्व
एनएमडीसी की खदानों और परिवहन मार्गों पर सीआईएसएफ के जवान तैनात रहते हैं। इन क्षेत्रों में वन विभाग का प्रवेश वर्जित है। एनएमडीसी द्वारा बनाए गए पुलों का भी नियमित निरीक्षण नहीं किया जाता। इस तरह, एनएमडीसी का इस पूरे सिस्टम पर पूरा नियंत्रण है।