रायपुर. शराब का नकली होलोग्राम बनाने के आरोप में जेल भेजे गए दिलीप पांडेय के जमानत आवेदन को कोर्ट ने खारिज कर दिया. सोमवार को ईओडब्ल्यू की विशेष न्यायाधीश निधि शर्मा तिवारी की अदालत में बचाव पक्ष के अधिवक्ता द्वारा तर्क प्रस्तुत करते हुए बताया कि उनके पक्षकार की कोई आपराधिक पृष्ठभूमि नहीं है. प्रकरण में ऐसा कोई तथ्य नहीं है कि तथाकथित अपराध से कोई वित्तीय लाभ हुआ हो. वह प्रिज्म होलोग्राफी और सिक्यूरिटी फिल्मस प्राइवेट कंपनी में वेतनभोगी कर्मचारी के रूप में प्रशासनिक व लिपिकीय कार्य करता था. इसे किसी अवैध गतिविधि की जानकारी नहीं है. उसे बिना बताए अवैध रूप से गिरतार किया गया है. साथ ही दबाव देकर बयान लिया गया है. प्रकरण में जप्तशुदा हार्डडिस्क से आवेदक का कोई संबंध नहीं है. इसे देखते हुए जमानत दिए जाने का अनुरोध किया.
अभियोजन पक्ष ने इसका विरोध करते हुए कहा कि शराब घोटाले का प्रकरण अपराध गंभीर प्रकृति एवं राज्य की अर्थव्यवस्था से जुड़ा हुआ है. प्रिज्म होलोग्राम के रायपुर यूनिट में डुप्लीकेट होलोग्राम की प्रिंटिंग कर उसे डिस्टलरियो तक पहुंचाने में अहम भूमिका निभाने के आरोप में रायपुर यूनिट के प्रभारी दिलीप पाण्डे को गिरतार किया गया है. पूछताछ में डुप्लीकेट होलोग्राम, प्रिज्म होलोग्राम के कासना ग्रेटर नोएडा स्थित फैक्टरी से सप्लाई किए जाने रायपुर में डुप्लीकेट होलोग्राम की प्रिंटिंग कर डिस्टलरियों को सप्लाई करने का खुलासा हुआ है. इस संबंध में डिजिटल साक्ष्य भी बरामद कराया गया है. विशेष न्यायाधीश ने दोनों पक्षों की दलील सुनने के बाद जमानत को खारिज कर दिया.