18वीं लोकसभा में उपाध्यक्ष का पद खाली नहीं रहेगा. सूत्रों ने गुरुवार को इसके संकेत दिए. उन्होंने कहा कि उपाध्यक्ष के चुनाव के दौरान विपक्ष की मांग पर विचार किया जा सकता है लेकिन उसमें कोई पूर्व शर्त नहीं थोपी जानी चाहिए.
सत्तारूढ़ एनडीए लोकसभा में किसी नेता को उपाध्यक्ष का पद देने लिए तैयार है लेकिन, इस मामले में वह फैसला तत्काल नहीं, बल्कि बाद में लिए जाने के पक्ष में है. सूत्रों ने कहा कि एनडीए ने इस पद पर विपक्ष के दावे को खारिज नहीं किया है, हालांकि उसकी आपत्ति इस बात पर है कि विपक्ष ने लोकसभा अध्यक्ष पद के उम्मीदवार का समर्थन करने के लिए उपाध्यक्ष पद देने की शर्त रखी. पिछली लोकसभा के दौरान कोई उपाध्यक्ष नहीं था. अतीत में ऐसे कई मौके आए हैं जब विभिन्न सरकारों ने विपक्ष को उपाध्यक्ष के रूप में अपना उम्मीदवार उतारने की अनुमति दी लेकिन, भाजपा का कहना है कि यह हमेशा नहीं हुआ है. कांग्रेस का दावा है कि वह इस बार प्रमुख विपक्षी पार्टी है, इसलिए उसे यह पद मिलना चाहिए.