
बृजमोहन अग्रवाल ने अपने संबोधन में बच्चों में संस्कार और चरित्र निर्माण पर जोर दिया. उन्होंने कहा कि अच्छे संस्कारों और अच्छे चरित्र वाले लोग नैतिक और आध्यात्मिक रूप से मजबूत होते हैं. वे दूसरों के प्रति सम्मान और करुणा रखते हैं. वे अपने कर्तव्यों का पालन करते हैं और अपनी जिम्मेदारियों को समझते हैं. वे दूसरों की मदद करने के लिए हमेशा तैयार रहते हैं.
अच्छे संस्कारों और अच्छे चरित्र वाले लोग ही एक बेहतर समाज का निर्माण करते हैं. वे भविष्य के लिए एक मजबूत आधार तैयार करते हैं.
बृजमोहन अग्रवाल ने स्कूली शिक्षा के साथ ही मौलिक शिक्षा पर भी जोर दिया. उन्होंने कहा कि, मौलिक शिक्षा के अभाव में आजकल बच्चे मां-बाप और बुजुर्गों की इज्जत करना भूलते जा रहे हैं. उनमें संस्कारों की कमी होती जा रही है. ऐसे में रामायण, महाभारत जैसी पौराणिक कथाओं के जरिए हम बच्चों में संस्कार और चरित्र का निर्माण कर सकते हैं.
बच्चों को बताया जा सकता है कठिन से कठिन समय में भी हिम्मत नहीं हारनी चाहिए. जैसे महाभारत में कृष्ण ने अर्जुन का हौसला बढ़ाया और फिर महाभारत में जीत दर्ज की.
उन्होंने कहा कि, आज के एकल परिवार में माता पिता के पास समय का आभाव हो गया है. जिसका सीधा असर बच्चों पर पड़ रहा है. बच्चे अलग थलग पड़ गए है. दिन भर स्मार्टफोन और टीवी में लगे रहने के कारण उनमें व्यवहारिक ज्ञान और सहन करने की क्षमता कम होती जा रही है. वो चिड़चिड़े होते जा रहे. आगे चलकर अवसाद में आ जाते है.
अभिभावक भी परीक्षा में ज्यादा से ज्यादा अच्छे नंबर से पास होने पर जोर देते है. लेकिन अब कॉम्पिटेटिव एग्जाम का जमाना है. जिसमे बहुमुखी प्रतिभा काम आती है. जिसमें पढ़ाई के साथ खेल, डांस, डिबेट, स्पीच भी जरूरी है.
ऐसे में शिक्षकों का दायित्व और जिम्मेदारी है कि बच्चों में छुपी प्रतिभा को निखरें और उसी क्षेत्र में आगे बढ़ाएं. कोई भी बच्चा कमजोर नहीं होता सभी में कुछ ना कुछ टैलेंट छुपा होता है बस उसको पहचानने और निखारना होता है. ये काम एक शिक्षक ही कर सकता है.
इस अवसर पर बच्चों ने रंगारंग कार्यक्रम प्रस्तुत किए.
बृजमोहन अग्रवाल ने अलग अलग कैटेगरी के प्रतिभाशाली बच्चों को अवॉर्ड देकर सम्मानित दिया.
कार्यक्रम में अतिथि जे के अग्रवाल उप सचिव माधियामिक शिक्षा मंडल. कन्हैया अग्रवाल, आनंद अग्रवाल, जितेंद्र शर्मा, सुरेश बाफना, दिव्यांश अग्रवाल भी मौजूद रहे.