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विमान से हमला करने वाले ड्रोन देश में ही बनेंगे

भारत अगले पांच सालों के भीतर ऐसे ड्रोन तैयार कर लेगा, जो युद्धक विमानों से उड़ान भर सकेंगे. वायुसेना के पास ये ड्रोन उपलब्ध होने से न सिर्फ उसकी मारक क्षमता में इजाफा होगा, बल्कि दुश्मन के क्षेत्र में हमले करने में भी पहले की तुलना में ज्यादा सक्षम हो जाएगी. रक्षा सूत्रों के अनुसार, एयरलांच एंटी रेडिएशन कांबेट स्वार्म ड्रोन का निर्माण देश में ही करने का निर्णय लिया गया है.

रक्षा मंत्रालय ने तय किया है कि 2030 से पहले देश में निर्मित इन ड्रोन को वायुसेना में शामिल कर लिया जाए. इस प्रकार के ड्रोन अमेरिका समेत कई प्रमुख देशों के पास हैं, लेकिन भारत ने इनका आयात नहीं करने का निर्णय लिया है. सूत्रों के अनुसार, रक्षा मंत्रालय ने स्वार्म ड्रोन बनाने वाली कंपनियों को इसके निर्माण की अनुमति दे दी है. डीआरडीओ के कुछ संस्थान भी इसमें मदद दे रहे हैं. डीआरडीओ की कई प्रयोगशालाएं भी ड्रोन बनाने के कार्य में जुटी हुई हैं, वे नए स्टार्टअप को भी इसके लिए प्रेरित कर रही है.

ड्रोन के कई फायदे रक्षा सूत्रों ने बताया कि एयर स्ट्राइक जैसी स्थिति में दुश्मन के क्षेत्र में घुसकर युद्धक विमानों से इन ड्रोन के जरिये टार्गेट को लक्ष्य कर सटीक हमले किए जा सकते हैं. यदि दुश्मन के क्षेत्र में न भी जाए तो इन ड्रोन को बार्डर के करीब से दुश्मन के इलाके में हमले के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है. एयर लांच्ड स्वार्म कांबेट ड्रोन को राडार पर पकड़ना असंभव होता है. ये खास किस्म के सेंसर और हथियारों से लैस होते हैं.

तेजस की पहली स्क्वाड्रन पाक सीमा पर तैनात होगी

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पाकिस्तान के लड़ाकू विमानों को चुनौती देने के लिए भारतीय वायुसेना ने तैयारी कर ली है. राजस्थान के बीकानेर जिले में स्वदेशी एलसीएम मार्क-1ए तेजस लड़ाकू विमान का पहला स्क्वाड्रन बन रहा है. रक्षा सूत्रों ने बताया कि नाल एयरबेस पर एडवांस तेजस लड़ाकू विमानों का स्क्वाड्रन स्थापित होगा.

ऐसी है तैयारी

  • अगले पांच वर्षों में युद्धक विमानों से ड्रोन भर सकेंगे उड़ान
  • स्वार्म ड्रोन बनाने वाली कंपनियों को निर्माण की अनुमति मिली
  • एयर लांच्ड स्वार्म कांबेट ड्रोन को राडार पर पकड़ना असंभव है

एक समूह में काम करते हैं स्वार्म ड्रोन

स्वार्म ड्रोन एक समूह में कार्य करते हैं, जिनमें कई ड्रोन होते हैं जो अलग-अलग कार्य को अंजाम देते हैं. स्वार्म ड्रोन का निर्माण देश में होने लगा है, लेकिन अभी उन्हें जमीन से ही लॉन्च किया जा सकता है. लेकिन आगे जो स्वार्म कांबेट ड्रोन तैयार होंगे, उन्हें युद्धक विमानों से लॉन्च किया जा सकेगा. इससे वायुसेना की क्षमता में इजाफा होगा.

 

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