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संसद में पीएम मोदी का आखरी संबोधन : पीएम ने बताया संसद ने 75 साल में क्या-क्या देखा प्लेटफॉर्म पर रहने वाला भी संसद पहुंचा..

संसद में पीएम मोदी का आखरी संबोधन : पीएम ने बताया संसद ने 75 साल में क्या-क्या देखा प्लेटफॉर्म पर रहने वाला भी संसद पहुंचा..

न्यूज़ डेस्क : आज से संसद के विशेष सत्र की शुरुवात हो चुकी है। पुराने संसद भवन में प्रधानमंत्री मोदी ने 75 साल की उपलब्धियों पर चर्चा करने की पहल की। आपको बता दे की पीएम मोदी ने पुराने भवन में तकरीबन 50 मिनट की आखिरी स्पीच दी। इस दौरान उन्होंने संसद के पुराने भवन से नए भवन में जाने को लेकर बात की। पीएम ने इस दौरान पूर्व प्रधानमंत्रियों को याद करते हुए कहा- ये वो सदन है जहां पंडित नेहरू का स्टोक्स ऑफ मिडनाइट की गूंज हम सबको प्रेरित करता है। इदिरा गांधी के नेतृत्व में बांग्लादेश के मुक्ति संग्राम का आंदोलन भी इसी सदन ने देखा था।

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उन्होंने कहा, ‘आजादी के बाद इस भवन को संसद भवन के रूप में पहचान मिली। इस इमारत का निर्माण करने का फैसला विदेशी शासकों का था। हम गर्व से कह सकते हैं कि इस भवन के निर्माण में पसीना और परिश्रम मेरे देशवासियों का लगा था। पैसे भी मेरे देश के लोगों के लगे।’ वर्तमान सांसदों के लिए यह विशेष सौभाग्य का अवसर है क्योंकि हमें इतिहास और भविष्य दोनों की कड़ी बनने का अवसर मिल रहा है। कल और आज से जुड़ने का अवसर मिल रहा है। नई उमंग, नए उत्साह से हम यहां से विदा लेने वाले हैं। सदन की दीवारों से हमने जो प्रेरणा, नया विश्वास पाया है, उसे हम आगे लेकर जाएंगे।

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इस दौरान पीएम मोदी ने लोकतंत्र की ताकत का ज़िक्र करते हुए कहा कि मैं पहली बार जब संसद का सदस्य बना और पहली बार एक सांसद के रूप में इस भवन में जब मैंने प्रवेश किया तो सहज रूप से इस सदन के द्वार पर अपना शीश झुकाकर अपना पहला क़दम रखा था। वह पल मेरे लिए भावनाओं से भरा हुआ था। मैं कभी सोच भी नहीं सकता था कि रेलवे प्लेटफॉर्म पर रहने वाला एक गरीब परिवार का बच्चा कभी संसद में प्रवेश कर पाएगा। मैंने कभी नहीं सोचा था कि मुझे लोगों से इतना प्यार मिलेगा।

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पीएम ने कहा कि आज आपने एक स्वर से G-20 की सफलता की सराहना की है। मैं आपका आभार व्यक्त करता हूं। G-20 की सफलता देश के 140 करोड़ नागरिकों की सफलता है। यह भारत की सफलता है, किसी व्यक्ति या पार्टी की नहीं। यह हम सभी के लिए
जश्न मनाने का विषय है।

पीएम ने कहा कि इसी भवन में दो साल 11 महीने तक संविधान सभा की बैठकें हुईं और देश के लिए एक मार्ग दर्शक जो आज भी हमें चलाते हैं उन्होंने हमें संविधान दिया। हमारा संविधान लागू हुआ, इन 75 वर्षों में सबसे बड़ी उपलब्धि देश के सामान्य मानव का इस संसद पर विश्वास बढ़ना रहा है।

जब आज हम इस सदन को छोड़ रहे हैं तब उन पत्रकार मित्रों को भी याद करना चाहता हूं जो संसद की रिपोर्टिंग करते रहे। कुछ तो ऐसे रहे जिन्होंने पूरी जिदंगी संसद को रिपोर्ट किया है। पहले यह तकनीक उपलब्‍ध नहीं थी, तब वही लोग थे। उनका सामर्थ्‍य था कि वे अंदर की खबर पहुंचाते थे और अंदर के अंदर की भी (खबर) पहुंचाते थे।

पीएम मोदी ने संसद के नए भवन में जाने को लेकर भी बात की। उन्होंने कहा, “ये बहुत ही भावुक पल है। परिवार भी जब पुराना घर छोड़कर नया जाता है तो बहुत सारी यादें कुछ पल के लिए उसे झकझोर देती हैं। ये हम सब की सांझी विरासत है।”

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