
विश्व बैंक की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में पिछले कुछ दशकों में लू का प्रकोप चिंताजनक गति से बढ़ा है और भारत जल्द भीषण गर्म हवाओं का सामना करने वाला दुनिया का पहला देश बन जाएगा और इनमें गर्मी इंसान की बर्दाश्त की सीमा से बाहर होगी.
रिपोर्ट के मुताबिक, भारत अन्य देशों की तुलना में अपेक्षाकृत अधिक गर्मी का सामना कर रहा है जो जल्द शुरू हो जाती हैं और ज्यादा समय तक रहती है.
यह रिपोर्ट तिरुवनंतपुरम में केरल सरकार के साथ साझेदारी में विश्व बैंक की ओर से आयोजित दो दिवसीय ‘भारत जलवायु और विकास साझेदारों’ की बैठक में जारी की जाएगी. रिपोर्ट में आशंका जताई गई है कि भारत में जल्द लू की तीव्रता उस सीमा को पार कर जाएगी, जो इनसान के बर्दाश्त करने के योग्य है. इसमें कहा गया है कि अगस्त 2021 में जलवायु परिवर्तन पर अंतर-सरकारी पैनल (आईपीसीसी) की छठी आकलन रिपोर्ट में चेतावनी दी गई थी कि भारतीय उपमहाद्वीप में आने वाले दशक में भीषण लू चलने के अधिक मामले सामने आएंगे.
बतौर रिपोर्ट, अगस्त, 2021 में जलवायु परिवर्तन के अंतर सरकारी पैनल (IPCC) की आंकलन रिपोर्ट में चेतावनी दी गई थी कि भारतीय उपमहाद्वीप में आगामी दशक में भीषण लू चलने के अधिक मामले सामने आएंगे.
G-20 क्लाइमेट रिस्क एटलस में भी भारत में 2036 से 2065 के बीच 25 गुना अधिक लू चलने की बात कही गई है. रिपोर्ट में चेतावनी दी गई है कि भारत में बढ़ती गर्मी से आर्थिक उत्पादकता में भी कमी आ सकती है.
भारत के 75 प्रतिशत कर्मचारी यानी करीब 38 करोड़ लोग ऐसे क्षेत्रों में काम करते हैं जिनमें गर्म वातावरण में रहना पड़ता है.
कई बार उन्हें जीवन के लिए संभावित रूप से खतरनाक तापमान में काम करना पड़ता है. …2030 तक गर्मी के तनाव से संबंधित उत्पादकता में गिरावट के कारण वैश्विक स्तर पर जो आठ करोड़ नौकरियां जाने का अनुमान जताया गया है, उनमें से 3.4 करोड़ नौकरियां भारत में जाएंगी. रिपोर्ट के मुताबिक, दक्षिण एशियाई देशों में भारी श्रम पर गर्मी का सबसे ज्यादा असर भारत में देखा गया है, जहां सालभर में 101 अरब घंटे गर्मी के कारण बर्बाद होते हैं. वैश्विक प्रबंधन सलाहकार फर्म मैकिन्से एंड कंपनी द्वारा किए गए विश्लेषण के मुताबिक, बढ़ती गर्मी और उमस से होने वाला श्रम का नुकसान इस दशक के अंत तक भारत के सकल घरेलू उत्पाद (GDP) को 4.5 प्रतिशत गिरा सकता है.
फार्म ने कहा कि भारत की दीर्घकालिक खाद्य सुरक्षा और सार्वजनिक स्वास्थ्य सुरक्षा एक विश्वसनीय कोल्ड-चेन पर निर्भर करेगी.
गौरतलब है कि यात्रा में तापमान की छोटी सी कमी भी कोल्ड-चेन को तोड़ सकती है.