मोरबी पुल हादसे की जांच में हैरान करने वाली जानकारी सामने आई है. जांच के अनुसार जिस ओरेवा कंपनी को पुल की मरम्मत की जिम्मेदारी दी गई थी, उसने मिली धनराशि का मात्र 6 फीसदी ही खर्च किया. टीओआई की एक रिपोर्ट के अनुसार अहमदाबाद स्थित ओरेवा ग्रुप को पुल की मरम्मत और नवीनीकरण के लिए 2 करोड़ की धनराशि दी गई थी, जिसमें से मात्र 12 लाख रुपये खर्च किए गए. बताते चलें कि मच्छु नदी के ऊपर ब्रिटिश कालीन इस पुल के गिरने की घटना में अभी तक 135 लोगों के मारे जाने की पुष्टि हुई है. हादसे में मरने वालों में महिलाएं और बच्चे भी शामिल हैं.
इस हादसे के कारणों की जांच में ओरेवा ग्रुप द्वारा कई अनियमितताओं की बात सामने आई है. ग्रुप ने पुल रेनोवेशन का सब-कॉन्ट्रैक्ट निकाला था. जिसके जरिए पुल को ठीक करने की जिम्मेदारी ध्रांगधरा स्थित फर्म देवप्रकाश सॉल्यूशंस को दी गई थी. ओरेवा की तरह, इस कंपनी के पास भी इस तरह के काम के लिए जरूरी तकनीकी जानकारी का अभाव था, पुल की मरम्मत पर खर्च किए गए पैसों का जिक्र देवप्रकाश सॉल्यूशंस से जब्त दस्तावेजों में है.
अधिकारियों ने बताया कि मोरबी नगर पालिका ने 15 साल के लिए ओरेवा समूह को पुल की मरम्मत और रखरखाव का ठेका दिया था. पुल गिरने की घटना के सिलसिले में पुलिस अब तक नौ लोगों को गिरफ्तार कर चुकी है. गुजरात सरकार ने मोरबी शहर में पुल गिरने की घटना के मद्देनजर मोरबी नगर पालिका के मुख्य अधिकारी संदीप सिंह जाला को निलंबित कर दिया है.