यूनिलीवर (Unilever) के कई शैंपू ब्रांड्स में कैंसर पैदा करने वाला केमिकल पाया गया है. यूनिलीवर ने Dove, Nexxus, Suave, Tigi और Tresemmé, एयरोसोल सनस्क्रीन समेत कई ड्राई शैंपू को अमेरिकी बाजार में रोक लगा दी है.
अमेरिका में यूनिलीवर के मशहूर प्रोडक्ट Dove ड्राई शैंपू में कैंसर से जुड़ी आशंकाओं के बीच अब भारत में इस पर तरह-तरह की बातें हो रही हैं. हालांकि यूनिलीवर की स्थानीय सहायक कंपनी हिंदुस्तान यूनिलीवर (HUL) ने इन चर्चाओं पर विराम लगाते हुए कहा है कि कंपनी भारत में ऐसे किसी उत्पाद को नहीं बेचती है.
HUL के मुताबिक कंपनी न तो भारत में ऐसे उत्पादों का निर्माण करती है और न ही उन्हें यहां बेचती है. HUL के प्रवक्ता ने बिजनेस टुडे को बताया, “ हम भारत में ड्राई शैंपू का निर्माण या बिक्री नहीं करते हैं. यूनिलीवर यूएस और कनाडा ने स्वेच्छा से अक्टूबर 2021 से पहले उत्पादित ड्राई शैंपू के चुनिंदा लॉट कोड को बाजार से वापस मंगाया है.”
प्रवक्ता ने बताया कि एक आंतरिक जांच के बाद इस प्रोडक्ट में बेंजीन के ऊंचे स्तर की पहचान की गई. इसके बाद ही बाजार से वापस मंगाने का फैसला लिया गया. यूनिलीवर द्वारा डव ड्राई शैंपू की बिक्री मुख्य रूप से अमेरिका और कनाडा के बाजारों में की जा रही है.
कैंसर के खतरे को देखते हुए यूनिलीवर पीएलसी ने डव सहित कई लोकप्रिय ब्रैंड के शैंपू को मार्केट से वापस बुला लिया है. कहा कि डव सहित एयरोसेल ड्राई शैंपू के ब्रांडों में बेंजीन नामक केमिकल की वजह से कैंसर होने की आशंका है. कहा कि इस शैंपू के इस्तेमाल करने से लोगों में कैंसर हो सकता है. फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन ने अपने वेबसाइट पर एक नोटिस पोस्ट किया है. रिकॉल में नेक्सस, सुवे, ट्रेसमे और टिगी जैसे ब्रांड भी शामिल हैं. जो रॉकहोलिक और बेड हेड ड्राई शैंपू बनाते हैं.
यूनिलीवर ने कई ब्रांडेड शैंपू के केमिकल से कैंसर पैदा होने की बात कही है. अमेरिका फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन के अनुसार ये प्रॉडक्ट्स अक्टूबर 2021 से पहले बनाए गए थे और पूरे देश में रिटेलर्स को डिस्ट्रीब्यूट किए थे. बेंजीन से कैंसर होने की आशंका काफी अधिक होती है. यह सूंघने, मुंह के जरिए और स्किन के जरिए शरीर में जा सकती है. इससे ल्यूकेमिया और ब्लड कैंसर होने की आशंका बहुत अधिक हो जाती है.
कैसे होता है कैंसर?
यूनिलीवर ने बेंजीन केमिकल को स्वास्थ्य के लिए हानिकारक बताते हुए कहा कि यह आपके शरीर में सूंघने, खाने या स्कीन से रास्ते घुस सकता है. इसके शरीर में जाने से बोन मैरो का ब्लड कैंसर, ल्यूकीमिया और ब्लड डिसॉअर्डर हो सकता है.