नई दिल्ली। भारत के बाद अमेरिका में भी खुदरा महंगाई दर के आंकड़े जारी हो गए हैं. दोनों ही देशों में महंगाई चिंता का विषय बनी हुई है. इसका असर दोनों ही देशों में देखने को मिलने वाला है. यूएस फेड (US Fed) के साथ ही आरबीआई (RBI) की तरफ से ब्याज दर (Interest Rates) बढ़ाए जाने की पूरी उम्मीद है. इसका सीधा असर लोन की ईएमआई भर रहे बैंक ग्राहकों पर होगा. इससे होम लोन, कार लोन और पर्सनल लोन पहले के मुकाबले महंगा हो जाएगा. अगर आपने लोन पर पहले से ही घर ले रखा है तो आपको ज्यादा ईएमआई चुकानी होगी.
खुदरा महंगाई का आंकड़ा बढ़कर 7 प्रतिशत पर पहुंचा
अमेरिका में महंगाई दर के रिकॉर्ड लेवल पर चलने के कारण इसका असर अमेरिकी शेयर बाजार के साथ ही भारतीय शेयर बाजार पर भी देखने को मिलने की उम्मीद है. भारत में 12 सितंबर को जारी अगस्त महीने का खुदरा महंगाई का आंकड़ा बढ़कर 7 प्रतिशत पर पहुंच गया है. यह जुलाई में 6.7 प्रतिशत पर था. पिछले तीन महीने से खुदरा मुद्रास्फीति में गिरावट आई थी. पिछले साल अगस्त में यह आंकड़ा 5.3 प्रतिशत पर था. दूसरी तरफ मंगलवार को अमेरिकी में सीपीआई डाटा जारी हुआ. इसके अनुसार मंथली सीपीआई (उपभोक्ता मूल्य सूचकांक) अगस्त में 8.3 प्रतिशत की दर से बढ़ी. यहां जून में 40 साल की सबसे ज्यादा महंगाई 9.1 प्रतिशत दर्ज हुई थी.
ब्याज दर में बढ़ोतरी तय मानी जा रही
अमेरिका के ताजा सीपीआई डाटा से यूसी फेड रिजर्व की तरफ से ब्याज दर में 0.75 प्रतिशत की बढ़ोतरी करना तय माना जा रहा है. फेड की तरफ से अगले हफ्ते 21 सितंबर को होने वाली बैठक में ब्याज दर में बदलाव की घोषणा की जाएगी. यूएस फेड की तरफ से इस साल चार बार ब्याज दर में बदलाव की घोषणा की जा चुकी है. आपको बता दें किसी भी देश में महंगाई को काबू में करने के लिए उस देश का केंद्रीय बैंक ब्याज दर में इजाफा करता है. भारत में भी मई से अब तक तीन बार ब्याज दर बढ़ाई जा चुकी है.
नीतिगत दर में लगातार तीन बार वृद्धि की गई
दूसरी तरफ मुद्रास्फीति में बढ़ोतरी होने से भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) इसी महीने पेश होने वाली मौद्रिक नीति समीक्षा (MPC) में फिर से रेपो रेट बढ़ा सकता है. सरकार ने आरबीआई को खुदरा मुद्रास्फीति दो प्रतिशत घट-बढ़ के साथ चार प्रतिशत पर रखने की जिम्मेदारी दी हुई है. रिजर्व बैंक के गवर्नर की अध्यक्षता वाली मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की बैठक 28-30 सितंबर को होनी है. लगातार तीन बार में नीतिगत दर में 1.40 प्रतिशत की वृद्धि की जा चुकी है. इक्रा की मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नायर ने कहा कि मासिक आधार पर खुदरा महंगाई में वृद्धि का मुख्य कारण खाद्य वस्तुओं के दाम में तेजी है. उन्होंने कहा, ‘अनुमान है कि एमपीसी सितंबर 2022 की मौद्रिक नीति समीक्षा में 0.5 प्रतिशत की वृद्धि करेगी.’