रायपुर. भाजपा विधायक एवं पूर्व मंत्री बृजमोहन अग्रवाल ने आज बोधघाट परियोजना का मामला विधानसभा में उठाते हुए पूछा कि क्या मुख्यमंत्री द्वारा बोधघाट परियोजना को प्रारंभ करने की घोषणा की गई है, हां तो कब? परियोजना की लागत तत्समय क्या आंकलित की गई एवं रूपांकित क्षमता क्या निर्धारित की गई थ? परियोजना हेतु बजट में वर्ष 2019-20, 2020-21 एवं 2021-22 एवं 2022-23 में कितनी राशि का प्रावधान किया गया है? कंडिका “क” के परियोजना के सर्वेक्षण हेतु कितनी राशि का प्राक्कलन स्वीकृत किया गया है एवं अद्यतन सर्वेक्षण पर कितनी राशि व्यय की जा चुकी है? सर्वेक्षण का परिणाम बताये? सर्वेक्षण अनुसार परियोजना की कितनी लागत आयेगी? क्या सर्वेक्षण की सम्पूर्ण रिपोर्ट प्राप्त हो गई, नहीं तो क्यों? यदि परियोजना सर्वेक्षण में अनुपयुक्त पाई गई तो करोड़ों व्यय के लिए जिम्मेदार कौन-कौन होंगे? मान. मुख्यमंत्री ने परियोजना के लिए जनता व जनप्रतिनिधियों से राय लेने की बात कही है? यदि हां तो यह राय सर्वेक्षण से पहले क्यों नहीं ली गई? यदि जनता/जनप्रतिनिधि की राय परियोजना के खिलाफ होगी तो फिर सर्वेक्षण खर्च हुए राशि के लिए जवाबदार कौन होगा और उसके खिलाफ क्या कार्यवाही की जावेगी?
जल संसाधन मंत्री ने अपने जवाब में बताया कि हां मुख्यमंत्री द्वारा बोधघाट परीक्षा को प्रारंभ करने की घोषणा की गई है. बजट सत्र 2020 में घोषणा की गयी है. परियोजना की लागत तत्समय रू. 22,653.00 करोड़ आकलित की गई थी. परियोजना सर्वेक्षणाधीन होने से रूपांकित क्षमता निर्धारित नहीं की गई है. परियोजना के सर्वेक्षण हेतु वर्ष 2019-20, 2020-21 2021-22 एवं 2022-23 में बजट प्रावधान की राशि क्रमशः शून्य रू., 3150.00 लाख रू., 1600.00 लाख तथा रू., 810.00 लाख है. परियोजना के सर्वेक्षण हेतु रू. 4154.00 लाख राशि का प्राक्कलन स्वीकृत किया गया है एवं सर्वेक्षण पर अद्यतन रू. 1249.24 लाख राशि व्यय की जा चुकी है. सर्वेक्षण कार्य पूरा नहीं हुआ है. अतः परियोजना की लागत बताया जाना संभव नहीं है. सर्वेक्षण कार्य प्रगतिरत होने के कारण संपूर्ण रिपोर्ट प्राप्त नहीं हुई है. अतः अनुपयुक्तता का अनुमान वर्तमान परिप्रेक्ष्य में उचित नहीं है. मुख्यमंत्री ने परियोजना के लिए जनता व जनप्रतिनिधियों से राय लेने की बात कही है. उपयुक्त समय पर रायशुमारी की जाएगी.
श्री अग्रवाल ने कहा है कि आज विधानसभा में सिंचाई मंत्री के जवाब आने के बाद सरकार पूरी तरह बेनकाब हो गई है बोधघाट को लेकर मुख्यमंत्री पहले इसी कार्यकाल मे काम प्रारंभ करने की घोषणा व साढ़े तीन साल बाद काम शुरू न कर पाने के बाद मुकरना सरकार की नियत को दिखाता है की सरकार बोधघाट को लेकर विशुद्ध रूप से राजनीति कर रही है और भ्रष्टाचार कर रही है.
श्री अग्रवाल ने कहा है कि सर्वेक्षण 2019-20 से 2022 -23 तक प्रगतिरत है. यह आश्चर्य की बात है कि शासन सर्वेक्षण पूर्ण नहीं होने की बात कहकर रूपांकित सिंचाई क्षमता का आकलन संभव नही कह रहा है वहीं दूसरी ओर बिना सर्वेक्षण पूर्ण हुए परियोजना की लागत 22,653.00 करोड़ बता रहा है. यह विरोधामाष ही स्पस्ट करता है कि शासन बिना किसी तकनीकी आधार पर काम करने की बजाय सर्वेक्षण पर करोड़ो रुपये व्यय करने पर आमादा था.
श्री अग्रवाल ने कहा कि जल संसाधन विभाग में ऐसा कोई नियम या तकनीकी सर्कुलर नही है कि सिंचाई परियोजना हेतु जनता एवम् जन प्रतिनिधियों से राय भी ली जावे. यह तकनीकी विभाग है. परियोजना निर्माण का आधार तकनीकी फिजिबिलीटी और फाइनेंशियल वायबिलिटी होता है. यदि जनता और जनप्रतिनिधी ही यह तकनीकी काम कर सकते होते तो शासन इतने इंजीनियरों की भर्ती क्यों करता? वृहद परियोजना की तकनीकी स्वीकृति केन्द्रीय जल आयोग नई दिल्ली भारत शासन निर्धारित करता है कि जनता या जनप्रतिनिधी.
श्री अग्रवाल ने कहा कि शासन अपने लगभग 13 करोड़ के अपव्यय जो सर्वेक्षण के नाम पर बर्बाद कर दिये उस पर पर्दा ढ़ाकने के लिये जनता और जनप्रतिनिधियों की आड़ ले रहा है.
श्री अग्रवाल ने कहा कि बस्तर में आध्र प्रदेश में निर्मित बांध पोलावरम की वजह से से बाढ़ और डूबान हो रहा है वहाँ जनता और जनप्रतिनिधी भी पोलावरम के विरूद्ध है. छत्तीसगढ़ शासन भी विरोध में सुप्रीम कोर्ट तक लडाइ लड़ रहा है. यदि जनता या जनप्रतिनिधि की राय कर कोई नियम होता तो पोलावरम निर्माण नही हो पाता.
श्री अग्रवाल ने कहा कि भाजपा ने प्रारंभ से ही इस बोधघाट परियोजना का विरोध तकनीकी अनफिजीबिलीटी के आधार पर किया था. परंतु शासन ने अपनी हटधर्मिता से प्रदेश की जनता के 13 करोड़ रूपये सर्वेक्षण पर बर्बाद कर दिये. योजना के सर्वेक्षण के पहले जनता व जनप्रतिनिधियों की राय क्यों नही ली गईं?