मेरठ-दिल्ली एक्सप्रेस-वे भूमि अधिग्रहण घोटाले में योगी सरकार ने बड़ी कार्रवाई की है। गाजियाबाद की DM रहीं निधि केसरवानी को सस्पेंड कर दिया है। उनके खिलाफ FIR दर्ज कराने का आदेश भी दिया है। 2004 बैच की अफसर निधि अभी केंद्र सरकार में नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ एंड फैमिली वेलफेयर में उप सचिव हैं। इसमें DM व अन्य अफसरों ने किसानों से सस्ती रेट पर जमीन अपने रिश्तेदारों को खरीदवा दी। फिर उसे कई गुना ऊंचे रेट पर सरकार को बिकवा दी थी।
मेरठ मंडल के पूर्व आयुक्त डॉ. प्रभात कुमार ने इस मामले की जांच के बाद गाजियाबाद के DM रहे विमल कुमार शर्मा और निधि केसरवानी समेत कई अफसरों-कर्मचारियों को दोषी पाया था। 2019 में उत्तर प्रदेश सरकार की कैबिनेट बैठक में इन दोनों अधिकारियों पर कार्रवाई की मंजूरी दी गई थी। विमल शर्मा रिटायर हो चुके हैं।
अनुभाग अधिकारी और समीक्षा अधिकारी भी होंगे सस्पेंड
मुख्यमंत्री कार्यालय ने बुधवार को एक बयान जारी किया। इसमें कहा कि इस केस में कार्रवाई में देरी करने वाले नियुक्ति विभाग के अनुभाग अधिकारी व समीक्षा अधिकारी को भी निलंबित किया जाएगा। अनुसचिव के खिलाफ कठोर कार्रवाई के निर्देश भी दिए गए हैं।
पूर्व कमिश्नर ने बढ़ी दर से मुआवजे को गलत ठहराया था
मेरठ-दिल्ली एक्सप्रेस-वे 82 किलोमीटर लंबा है। 31.77 किमी हिस्सा गाजियाबाद में है। गाजियाबाद में भूमि अधिग्रहण के लिए राष्ट्रीय राजमार्ग अधिनियम- 1956 की धारा-3ए की अधिसूचना 8 अगस्त 2011 को जारी हुई थी। इसमें भूमि अधिग्रहण का सरकार इरादा जताती है। धारा-3डी के तहत भूमि को अधिगृहीत किए जाने की अधिसूचना 2012 में जारी की गई। अधिगृहीत की जाने वाली भूमि का अवार्ड 2013 में घोषित हुआ।
इस अवार्ड के खिलाफ गाजियाबाद के चार गांवों-कुशलिया, नाहल, डासना और रसूलपुर सिकरोड़ के किसानों ने कोर्ट की दखल के लिए वाद दाखिल किए। 2016 और 2017 में जिलाधिकारी/आर्बिट्रेटर ने नए भूमि अधिग्रहण अधिनियम के तहत जमीन के सर्किल रेट के चार गुना की दर से मुआवजा देने के निर्णय किए।
मामले की शिकायत होने पर तब के मंडलायुक्त डॉ. प्रभात कुमार ने इसकी जांच कराई। 29 सितंबर 2017 को शासन को सौंपी गई। रिपोर्ट में उन्होंने धारा-3डी की अधिसूचना के बाद जमीन खरीदने, बढ़ी दर से मुआवजा दिए जाने को गलत ठहराया था। इन चार गांवों की मुआवजा राशि जहां पहले 111 करोड़ रुपए थी। वहीं, बाद में यह रकम 486 करोड़ रुपए हो गई थी।
ADM और अमीन हुए थे निलंबित
इस मामले में गाजियाबाद के पूर्व अपर जिलाधिकारी (भूमि अध्याप्ति) घनश्याम सिंह ने धारा-3डी की अधिसूचना के बाद नाहल गांव में अपने बेटे के नाम जमीन खरीदी और बाद में बढ़ी दर से मुआवजा लिया। इसी तरह अमीन संतोष ने भी अपनी पत्नी व अन्य रिश्तेदारों के नाम जमीन खरीद कर ज्यादा मुआवजा हासिल किया था। जांच होने पर दोनों निलंबित हुए थे।