
रायपुर: छत्तीसगढ़ सरकार ने ज़मीन की खरीद-फरोख्त को और आसान, पारदर्शी और तेज़ बनाने के लिए एक बड़ा कदम उठाया है। अब ज़मीन की रजिस्ट्री होते ही उसका नामांतरण (खातेदारी में नाम बदलना) अपने आप हो जाएगा।
पहले रजिस्ट्री के बाद खरीदार को तहसीलदार के पास जाकर आवेदन देना पड़ता था, और यह प्रक्रिया कोर्ट जैसी होती थी – जिसमें समय और परेशानी दोनों लगते थे। अब यह सब खत्म!
सरकार ने छत्तीसगढ़ भू-राजस्व संहिता, 1959 में संशोधन करते हुए तहसीलदारों से नामांतरण का अधिकार वापस ले लिया है और रजिस्ट्रार और सब-रजिस्ट्रार को ही यह अधिकार दे दिया गया है।
नए नियमों से क्या-क्या बदलेगा?
✅ रजिस्ट्री के साथ ही जमीन का नाम अपने आप खरीदार के नाम दर्ज होगा
✅ नामांतरण के लिए तहसील जाने की ज़रूरत नहीं
✅ फर्जीवाड़ा और ज़मीन विवादों पर लगेगी रोक
✅ किसानों को तुरंत लाभ मिलेगा – समर्थन मूल्य पर धान बेच सकेंगे
✅ प्रक्रिया तेज़ और पारदर्शी होगी
यह बदलाव खासतौर पर किसानों और आम लोगों के लिए राहत भरा है। अब उन्हें न तो दफ्तरों के चक्कर लगाने पड़ेंगे, न ही फर्जी दस्तावेजों के कारण किसी विवाद में फंसना पड़ेगा।
यह फैसला ज़मीन से जुड़े मामलों में एक बड़ी सुधार प्रक्रिया की शुरुआत है, जो राज्य को डिजिटल और भ्रष्टाचार-मुक्त शासन की ओर ले जा रही है।